Homeघरेलू नुस्ख़ेबीमारीयों के लक्षण व उपचारशीतपित्त के 25 घरेलु उपचार – 25 Homemade Remedies for Cnidosis

शीतपित्त के 25 घरेलु उपचार – 25 Homemade Remedies for Cnidosis

शीतपित्त को साधारण भाषा में पित्ती उछलना कहते हैं| इसमें रोगी के शरीर में खुजली मचती रहती है, दर्द होता है तथा व्याकुलता बढ़ जाती है| कभी-कभी ठंडी हवा लगने या दूषित वातावरण में जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है|

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शीतपित्त के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. एरण्ड, इलायची, दालचीनी, पीपल, मक्खन, शहद और दूध

सबसे पहले रात को दो से चार चम्मच एक एरण्ड का तेल दूध में पीकर सुबह दस्तों के द्वारा पेट साफ कर लें| फिर छोटी इलायची के दाने 5 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम और पीपल 10 ग्राम – सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन सुबह मक्खन या शहद के साथ चाटें|


2. गेरू और पुए

पित्ती वाले रोगी के शरीर में गेरू पीसकर मलें तथा गेरू के परांठे या पुए खिलाएं|


3. गाय का घी और गेरू

गाय के घी में दो चुटकी गेरू मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है|


4. चिरौंजी

शीतपित्त में चिरौंजी का सेवन करें|


5. नागकेसर और शहद

2 ग्राम नागकेसर को शहद में मिलाकर चाटें|


6. हल्दी, गेरू, शक्कर और सूजी

एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच गेरू तथा दो चम्मच शक्कर – सबको सूजी में मिलाकर हलवा बनाकर खाएं|


7. त्रिफला और शहद

एक चम्मच त्रिफला चूर्ण शहद में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें|


8. आंवला और गुड़

आंवले के चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से गरमी के कारण उछली पित्ती ठीक हो जाती है|


9. सोंठ, गेरू और शहद

5 ग्राम सोंठ तथा 5 ग्राम गेरू – दोनों को शहद में मिलाकर चाटें|


10. नीम और शहद

नीम की चार निबौलियों का गूदा शहद में मिलाकर सेवन करें|


11. अदरक और शहद

एक चम्मच अदरक का रस तथा शहद इस रोग में काफी लाभकारी है|


12. हल्दी, दूध और शहद

आधा चम्मच हल्दी तवे पर भूनकर उसे दूध या शहद के साथ लें|


13. घी और हींग

पित्ती उछलने पर घी में हींग को मिलाकर ददोरों पर मलें|


14. पानी और नीबू

पानी में नीबू निचोड़कर स्नान करने से भी काफी लाभ होता है|


15. नारियल और कपूर

नारियल के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करें|


16. सरसों और अदरक

सरसों के तेल में अदरक का रस मिलाकर मालिश करें|


17. गुड़, अजवायन और पीपरमेंट

10 ग्राम गुड़ में एक चम्मच अजवायन तथा 10 दाने पीपरमेंट मिलाकर सेवन करें|


18. चंदन

यदि पित्ती गरमी से उत्पन्न हुई हो तो शरीर पर चंदन का तेल मलें|


19. गिलोय, चंदन और शहद

आधा चम्मच गिलोय के चूर्ण में आधा चम्मच चंदन का बुरादा मिलाकर शहद के साथ सेवन करें|


20. पानी और फिटकिरी

पानी में पिसी हुई फिटकिरी मिलाकर स्नान करें|


21. बेल और फिटकिरी

नागर बेल के पत्तों के रस में फिटकिरी मिलाकर शरीर पर लगाएं|


22. मेथी, हल्दी, कालीमिर्च, मिश्री, शहद और दूध

थोड़े से मेथी के दाने, एक चम्मच हल्दी तथा चार-पांच पिसी हुई कालीमिर्च – सबको मिश्री में मिलाकर चूर्ण बना लें| सुबह आधा चम्मच चूर्ण शहद या दूध के साथ सेवन करें|


23. पटोल, नीम, त्रिफला और अड़ूसा

पटोल, नीम की छाल, त्रिफला तथा अड़ूसा – सभी 4-4 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें|


24. बकायन और शहद

बकायन की छाल को धूप में सुखाकर पीस डालें| फिर 2 रत्ती इस चूर्ण को शहद के साथ लें|


25. दूध

भोजन के बाद 6 माशा हरिद्राखण्ड को दूध के साथ सेवन करें|

शीतपित्त में क्या खाएं क्या नहीं

साग-सब्जी, मौसमी फल तथा रेशेदार सब्जियों का सेवन करें| गरम पदार्थ, गरम मेवे, गरम फल तथा गरम मसालों का प्रयोग न करें| साग-सब्जी तथा दालों में नाममात्र नमक डालें| खटाई, तेल, घी आदि का प्रयोग कम करें| पित्त को कुपित करने वाली चीजें, जैसे-सिगरेट, शराब तथा कब्ज पैदा करने वाले गरिष्ठ पदार्थ बिलकुल न खाएं| पुराने चावल, जौ, मूंग की दाल, चना आदि लाभकारी हैं| प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मछली आदि शीतपित्त में नुकसान पहुंचाते हैं, अत: इनका भी सेवन न करें| जाड़ों में गुनगुना तथा गरमियों में ताजे जल का प्रयोग करें|

शीतपित्त का कारण

शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है| वैसे साधारणतया यह रोग पाचन क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है| कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है|

शीतपित्त की पहचान

पित्त बढ़ जाने के कारण हाथ, पैर, पेट, गरदन, मुंह, जांघ आदि पर लाल-लाल चकत्ते या ददोरे पड़ जाते हैं| उस स्थान का मांस उभर आता है| जलन और खुजली होती है| कान, होंठ तथा माथे पर सूजन आ जाती है| कभी-कभी बुखार की भी शिकायत हो जाती है|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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