श्री बालकृष्ण जी की आरती – Shri Balkishan Ji Ki Aarti
आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।
आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
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श्री बालकृष्ण जी की आरती इस प्रकार है:
आरती बालकृष्ण की कीजै |
अपनों जनम सुफल करि लीजै |
श्रीयशुदा को परम दुलारौ |
बाबा की अखियन कौ तारो ||
गोपिन के प्राणन को प्यारौ |
इन पै प्राण निछावरी कीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||
बलदाऊ कौ छोटो भैया |
कनुआँ कहि कहि बोलत मैया |
परम मुदित मन लेत वलैया |
यह छबि नयननि में भरि लीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||
श्री राधावर सुघर कन्हैया |
ब्रजजन कौ नवनीत खवैया |
देखत ही मन नयन चुरैया |
अपनौ सरबस इनकूं दीजे |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||
तोतरि बोलनि मधुर सुहावै |
सखन मधुर खेलत सुख पावै |
सोई सुकृति जो इनकूं ध्यावै |
अब इनकूं अपनों करि लीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||