सिंह की खाल में गधा – शिक्षाप्रद कथा
किसी गधे को सिंह की खाल मिल गई| उसने सोचा – ‘अगर मैं इस खाल को ओढ़ लूं तो मजा आ जाएगा! जंगल के सभी जानवर मुझे सिंह समझकर डर जाएंगे|’
बस फिर क्या था| गधे ने सिंह की खाल ओढ़ ली और लगा जंगल में दौड़ने| जंगल के जानवर डरकर इधर-उधर भागने लगे|
वे इस नए फुर्तीले सिंह से बेहद डर गए थे| भागने वाले जानवरों में चालाक लोमड़ी भी थी| उसे भी असलियत का पता नहीं था| चालाक और धूर्त लोमड़ी भी गधे को नहीं पहचान सकी| यह देखकर गधा प्रसन्न हो गया| उसका मन अहंकार से भर गया| अपनी प्रसन्नता दिखाने के लिए वह लगा जोर-जोर से रेंकने| सिंह को गधे की तरह रेंकता देखकर लोमड़ी आश्चर्यचकित रह गई| वह गधे के पास आई|
गधा लोमड़ी को देखकर कहने लगा – “क्या तुम मुझसे डरती नहीं हो?”
“जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं डर गई थी!” लोमड़ी बोली – “मगर जैसे ही तुम्हारी आवाज सुनी, मैं समझ गई कि तुम गधे हो|”
शिक्षा: वस्त्र नहीं स्वभाव को बदलो|