सिंह और बकरी – शिक्षाप्रद कथा
एक सिंह भूख से तड़प रहा था| कई दिनों से उसे भोजन नहीं मिला था|
जब वह शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था, तभी उसे एक ऊंची चट्टान पर एक बकरी खड़ी दिखाई दी| बकरी देखकर सिंह के मुंह में पानी भर आया| मगर चट्टान पर चढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं थी| अत: उसने तरकीब से काम लेना ही मुनासिब समझा|
“नमस्ते! बकरी जी|” सिंह बड़े प्यार से बोला – “क्या तुम्हें भूख नहीं लगी है?”
“मैं तो हमेशा भूखी रहती हूं!” बकरी बोली|
“तो फिर तुम यहां नीचे क्यों नहीं आ जाती?” सिंह बड़ी चतुराई से बोला – “यहां की घास तो बहुत मुलायम और स्वाद भरी है!”
“यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई महाराज कि आपके आस-पास की घास बहुत स्वादिष्ट है|” बकरी ने उत्तर दिया – “मैं आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे आमंत्रित किया, परंतु मेरी विवशता यह है कि मैं आपको यह अवसर नहीं देना चाहती कि आप मुझे ही खा जाएं| नक्स्ते!”
शिक्षा: शत्रु की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए|