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शिक्षाप्रद कथाएँ (1569)

चिंग किंग नाम का एक लड़का शिकोकू नामक कस्बे में रहता था | शिकोकू में चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी | ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा था शिकोकू कस्बा |

एक समय की बात है| एक छोटा-सा बालक अपनी अकेली विधवा माँ को छोड़कर कोई रोजगार-धंधा करने के लिए विदेश जा रहा था|

कुछ पल बाद राजा ने ब्राम्हण की ओर देखा और कहा, “विप्रवर! आपकी जो भी अभिलाषा हो निस्संकोच मुझसे मांग लें| मैं अपने वचन से पीछे नहीं हटूंगा|”

एक बार संत राबिया एक धार्मिक पुस्तक पढ़ रही थीं। पुस्तक में एक जगह लिखा था, शैतान से घृणा करो, प्रेम नहीं। राबिया ने वह लाइन काट दी। कुछ दिन बाद उससे मिलने एक संत आए। वह उस पुस्तक को पढ़ने लगे। उन्होंने कटा हुआ वाक्य देख कर सोचा कि किसी नासमझ ने उसे काटा होगा। उसे धर्म का ज्ञान नहीं होगा। उन्होंने राबिया को वह पंक्ति दिखा कर कहा, जिसने यह पंक्ति काटी है वह जरूर नास्तिक होगा।

स्वामी दयानंद के जीवन की एक सत्य-कथा है| स्वामी जी के उपदेशों की चर्चा सुनकर एक प्रतिष्ठित मुसलमान भी उनके पास गया, परंतु उसका मुख हमेशा उदास रहता था| एक दिन स्वामी जी ने कारण पूछा| उसने उत्तर दिया कि मेरे कई बच्चे हुए हैं, परंतु जीता कोई नहीं, इसलिए मन सदा उदास रहता है|

लंका का राजा रावण भिक्षुक के भेष में आकर सीताजी का हरण कर ले गया था| श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीताजी की खोज में जटायु के पास गए|

बलसोरा के बादशाह का राज्य धनधान्य से पूर्ण था | किसी भी प्रकार की कोई कमी न थी | उनकी एक प्यारी-सी बेटी थी जिनी | उसके काले घुंघराले बाल, घनी पलकें, तीखे नयन-नक्श, हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट करते रहते थे |

विश्वामित्र से अनुमति लेकर राजा हरिश्चंद्र सैनिको के साथ अपनी राजधानी की ओर चल पड़े|

यह उन दिनों की बात है, जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका में थे। वहां कई महत्वपूर्ण जगहों पर उन्होंने व्याख्यान दिए। उनके व्याख्यानों का वहां जबर्दस्त असर हुआ। लोग स्वामी जी को सुनने और उनसे धर्म के विषय में अधिक अधिक से जानने को उत्सुक हो उठे। उनके धर्म संबंधी विचारों से प्रभावित होकर एक दिन एक अमेरिकी प्रोफेसर उनके पास पहुंचे। उन्होंने स्वामी जी को प्रणाम कर कहा, ‘स्वामी जी, आप मुझे अपने हिंदू धर्म में दीक्षित करने की कृपा करें।’

एक बार पोर्ट नदी के किनारे एक सुंदर राज्य बसा था | राज्य का नाम था लीगोलैंड | लीगोलैंड में इवानुश्का नाम का राजा राज्य करता था | राजा अपनी विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध था |

राजधानी लौटते समय मार्ग में राजा हरिश्चंद्र इस उधेड़-बुन में लगे हुए थे अपनी धर्मपत्नी शैव्या को अपने सर्वस्व दान  बात कैसे बताएंगे| उन्हें न तो स्वयं राज्य का लाभ था, न धन का लालच| परन्तु शैव्या और पुत्र रोहिताश्व की प्रतिक्रिया के बारे में वे अवश्य चिंतित थे|

एक राजा को फूलों का शौक था। उसने सुंदर, सुगंधित फूलों के पचीस गमले अपने शयनखंड के प्रांगण में रखवा रखे थे। उनकी देखभाल के लिए एक नौकर रखा गया था।

अफ्रीका में एक छोटे से देश का नाम इथियोपिया है | वहां के लोग अपने देश से बहुत प्रेम करते हैं | ऐसा कहा जाता है कि यह कहानी उस देश में बहुत लोकप्रिय है |

एक गांव में रमीना अपने पति व चार बेटों के साथ रहती थी | वह अपने व अपने परिवार के साथ खूब खुशहाल थी | वह मध्यम आय वाला परिवार था | अत: रमीना परिवार की कमाई का अधिकांश भाग बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती थी | पिता भी बच्चों को खूब प्यार करता था |

अगले दिन जैसे ही राजा हरिश्चंद्र राज्य दरबार में अपने सिंहासन पर बैठे, विश्वामित्र ने प्रवेश किया| राजा ने स्वयं महर्षिकी अगवानी की|सभासदों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया| विश्वामित्र ने कहा, “राजन! मुझे पहचाना?

बात तब की है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। बंगाल के न्यायाधीश नीलमाधव बैनर्जी अपनी न्यायप्रियता, सत्यनिष्ठा व दयालुता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अपने इन्हीं गुणों के कारण बेहद सम्मान व प्रसिद्धि पाई। वृद्धावस्था में उन्हें प्राण घातक रोग ने जकड़ लिया तथा उनका शरीर बेहद कमजोर हो गया।

पंडित जयदेव एक बड़े अच्छे संत हए हैं| एक राजा उन पर बहुत भक्ति रखता था और उनका सब प्रबंध अपनी तरफ से ही किया करता था|

एक बार एक गांव में एक लड़का रहता था | उसके मां-बाप बचपन में ही गुजर गए थे | इस दुनिया में उसका सगा कोई न था | उसके जन्म लेते ही उसकी मां की मृत्यु हो गई थी | सब लोग उसे कैनी कहकर पुकारते थे |

बुलबुल बहुत ही भोली-भाली लड़की थी | छल-कपट उसे छू तक नहीं गया था | उसके स्वभाव के विपरीत उसकी एक बहन थी – नाम था रीना | रीना चालाक, मक्कार और आलसी थी |

विश्वामित्र की बात सुनकर राजा हरिश्चंद्र ने कहा, “भगवन! मुझसे अपराध हो गया| इस राज्य की प्रत्येक वस्तु पर अब आपका अधिकार है|

एक बार गुजरात की एक रियासत की राजमाता मीलण देवी ने भगवान सोमनाथ जी का विधिवत् अभिषेक किया। उन्होंने सोने का तुलादान कर उसे सोमनाथ जी को अर्पित कर दिया।

प्रतापगढ़ का राजा मंगलसेन शूरवीर और पराक्रमी था | उसका साम्राज्य दूर-दूर तक फैला था | वह प्रतिदिन शाम को एक अदालत लगाता था, जिसमें जनता की समस्याओं को सुनता था | उसका सदैव यही प्रयास रहता था कि उसके राज्य में सभी सुखी हों | वह उनकी परेशानियों को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था |

देवधर और मंगल की मित्रता ऐसी थी, जैसे दोनों एक ही शरीर के दो अंग हों | यदि एक को चोट लगती तो तकलीफ दूसरे को होती | वे दोनों बचपन से ही मित्र थे |

राजा हरिश्चंद्र के दरबार से जसने के उपरांत महर्षि वशिष्ठ से चुप नहीं रहा गया| वे गंभीर होकर विश्वामित्र से बोले, “ऋषिवर! आप यह ठीक नहीं कर रहे हैं| आपका वैर मुझसे है| यदि आपको परेशान करना है तो आप मुझे करें| महाराज से आपका व्यवहार ऋषि-परम्परा के विरूद्ध है|”

एक राजा हर समय ईश्वर की भक्ति में डूबा रहता था। उसकी इकलौती लड़की भी उसी की तरह धर्मानुरागी थी। राजा की इच्छा थी कि वह अपनी पुत्री का विवाह ऐसे युवक के साथ करे , जो उसी की तरह धार्मिक प्रवृत्ति का हो।

चांग ची बहुत रईस आदमी था | उसने अपने लिए अपार दौलत जमा कर रखी थी | उसकी पत्नी उसे लाख समझाती थी कि इतनी कंजूसी अच्छी बात नहीं, परंतु वह मानता ही नहीं था |

प्राचीनकाल की बात है | असम के ग्रामीण इलाके में तीरथ नाम का कुम्हार रहता था | वह जितना कमाता था, उससे उसका घर खर्च आसानी से चल जाता था | उसे अधिक धन की चाह नहीं थी | वह सोचता था कि उसे अधिक कमा कर क्या करना है | दोनों वक्त वह पेट भर खाता था, उसी से संतुष्ट था |

जिस समय राजा हरिश्चंद्र महर्षि वशिष्ठ और अयोध्यावासियो को समझा रहे थे, उसी समय विश्वामित्र अंगरक्षकों से घिरे हुए रथ पर सवार वंहा पहुंचे और लोगों से घिरे राजा, रानी और उनके पुत्र को देखकर चीखे, “हरिश्चंद्र! तू धर्मभ्रष्ट हो गया है|

राजा हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी शैव्या और पुत्र के साथ वल्कल वस्त्र धारण किये और राजमहल से बाहर निकल आए|

यह घटना उस समय की है जब इटली अपने एक पड़ोसी देश के साथ युद्ध लड़ रहा था। एक युवक एक पहाड़ी की चोटी पर बैठा हुआ दूरबीन से युद्ध का दृश्य देख रहा था। युद्ध में कुछ सैनिक मर चुके थे और कुछ अपने जीवन की अंतिम घड़ियां गिन रहे थे।