जब एक चीनी यात्री भारत से वापस जा रहा था, उसे उपहारस्वरूप भोजपत्र पर लिखी हजारों पुस्तकें भेट की गयी| एक छोटे जहाज पर उसे लाद दिया गया| जहाजियों के अतिरिक्त भारत के पन्द्रह युवा तपस्वी भी जा रहे थे, जिन्होंने अभी-अभी अपनी शिक्षा पूरी की थी|
यह कहानी उस समय की है, जब अयोध्या में राजा वीरकेतु का शासन था| राजा वीरकेतु बहुत योग्य प्रशासक थे| उनके राज्य में प्रजा स्वयं को सुखी एवं सुरक्षित महसूस करती थी|
एक बार ब्रह्माजी दुविधा में पड़ गए। लोगों की बढ़ती साधना वृत्ति से वह प्रसन्न तो थे पर इससे उन्हें व्यावहारिक मुश्किलें आ रही थीं।
एक बार श्रीकृष्ण विदुर से मिलने हस्तिनापुर गये| विदुर घर में थे नहीं| उनकी पत्नी थी| कृष्ण ने चरण छुए| वे गद्गद् विह्वल हो गयी| उन्हें कुछ सुझा नहीं कि वे क्या करे? कहाँ बैठावें? वे तेजी से अन्दर गयीं| झटपट कुछ केले लेकर लौटीं|
प्राचीन समय में सिंहल द्वीप में सिंह विक्रम नाम का एक चोर रहता था| दूसरों का धन चुराना ही उसकी आजीविका थी| इस प्रकार लोगों के यहां चोरी करके उसके बहुत-सा धन इकट्ठा कर लिया था|
एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पर्वतीय स्थल पर ठहरे थे। शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले। दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे। विशाल और मजबूत चट्टानों को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जागी। उसने पूछा, ‘इन चट्टानों पर तो किसी का शासन नहीं होगा क्योंकि ये अटल, अविचल और कठोर हैं।’ शिष्य की बात सुनकर बुद्ध बोले, ‘नहीं, इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन है।
देवमाता दिति के दोनों दैत्यपुत्रों को भगवान विष्णु ने मार दिया| वे अपने सौतेले पुत्र इन्द्र से नाराज थीं, क्योंकि| उन्ही के सुरक्षा के लिए उनके पुत्र मारे गए थे| गुस्से में उन्होंने एक ऐसे पुत्र को जन्म देने का निश्चय किया, जो देवराज इन्द्र को मार सके|
किसी समय केदार पर्वत पर शुभनय नाम के एक महामुनि रहते थे| वे सदैव मंदाकिनी के जल में स्नान करते थे| उन्होंने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया था और कठोर तपस्या करते रहने के कारण उनकी काया कृश (दुबली-पतली) हो गई थी|
एक बार बुद्ध एक गांव में अपने किसान भक्त के यहां गए। शाम को किसान ने उनके प्रवचन का आयोजन किया। बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। गांव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि कैसा भक्त है कि प्रवचन का आयोजन करके स्वयं गायब हो गया। प्रवचन खत्म होने के बाद सब लोग घर चले गए। रात में किसान घर लौटा। बुद्ध ने पूछा, कहां चले गए थे? गांव के सभी लोग तुम्हें पूछ रहे थे।
एक दिन एक आदमी का पाँव कट गया| उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया| एक व्यक्ति ने पूछा, “जब तुम्हारा पाँव कट गया, तब ईश्वर दयालु कैसे है?
प्राचीन काल में उज्जयिनी नामक नगरी में मूलदेव नाम का एक ब्राह्मण रहता था| वह बहुत विद्वान एवं चतुर था| उसने शास्त्रार्थ में कई पंडितों एवं विद्वानों को परास्त कर रखा था| इसी कारण वह वेदों एवं शास्त्रों का प्रकांड पंडित माना जाने लगा था|
प्रवचन करते हुए महात्मा जी कह रहे थे कि आज का प्राणी मोह-माया के जाल में इस प्रकार जकड़ गया है कि उसे आध्यात्मिक चिंतन के लिए अवकाश नहीं मिलता।
मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा नगर है| वहाँ एक रेलवे-क्रासिंग पर रेलगाड़ी गुजरने का समय हो गया था| दोनों ओर के फाटक बंद कर दिये गए थे
एक राजा घोड़े पर सवार होकर जा रहा था| रास्ते में उसने एक बूढ़े व्यक्ति को आम का नन्हा पौधा रोपते हुए देखा| उसने सोचा कि इस बूढ़े को उस पेड़ से क्या लाभ|
किसी देश में एक बहुत ही न्यायप्रिय राजा था | वह अपनी प्रजा के हितों की रक्षा करना भली-भांति जानता था | उसने अनेक गुप्तचरों को नियुक्त कर रखा था, जो देश के लोगों के हालात की सही जानकारी दे सकें |
एक संन्यासी जीवन के रहस्यों को खोजने के लिए कई दिनों तक तपस्या और कठोर साधना में लगे रहे, पर आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई।
त्रेता युग में राजा हरिशचंद्र राज्य करते थे| वे इक्ष्वाकु वंशी थे, बाद में श्रीरामचंद्र जी भी इसी वंश में हुए| धर्म में उनकी सच्ची निष्ठा थी और वे परम सत्यवादी थे| उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फली हुई थी| उनकी पुरोहित महर्षि वशिष्ठ थे, उनका इंद्र की सभा में आना-जाना था|
बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। उसके पास एक दिन एक संत आए। उन्होंने कई विषयों पर चर्चा की। राजा और संत में कई प्रश्नों पर खुलकर बहस भी हुई। अचानक बातों ही बातों में संत ने अधिकार की रोटी की चर्चा की। राजा ने इसके बारे में विस्तार से जानना चाहा तो संत ने उसे एक बुढ़िया का पता दिया और कहा कि वही उसे इसकी सही जानकारी दे सकती है।
एक दिन इंद्र की सभा में विश्वामित्र और वशिष्ठ के आलावा देवगण, गंधर्व, पितर और यक्ष आदि बैठे हुए चर्चा कर रहे थे की इस धरती पर सबसे बड़ा दानी, धर्मात्मा और सत्यवादी कौन है?
एक बार एक गांव में दो भाई रहा करते थे | उनका नाम था चांगी और मांगी | कहने को तो वे दोनों सगे भाई थे परंतु उनकी आदत एक दूसरे के विपरीत थी |
महर्षि कणाद परम विरक्त तथा स्वाभिमानी थे। वह फसल की कटाई के बाद खेतों से अन्न के दाने चुनते और उन्हें भगवान को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते थे।
देवराज जानते थे कि दो ऋषियों के बीच हुए विवाद में फंसने से कोई लाभ होने वाला नहीं है| वे दोनों महर्षि के स्वभाव से भी भली-भाति परिचित थे| इंद्र भली-भाति जानते थे कि विश्वामित्र के मन में क्यों वशिष्ठ के प्रति ईर्ष्या का भाव है|
बहुत पहले की बात है | अफ्रीका में मंडल नाम का एक व्यक्ति रहता था | उसके पास ढेरों गाएं थीं | इसके अतिरिक्त बकरियां, हिरन व घोड़े भी उसने पाल रखे थे |
एक बार महात्मा गांधी को प्रवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जोहान्सबर्ग की जेल में बंद कर दिया गया। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। कुछ शरारती तत्वों ने यह अफवाह फैला दी कि गांधी जी ने सरकार से समझौता कर लिया है और प्रवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज न उठाने का वचन दिया है।
एक दिन राजा हरिश्चंद्र वन में आखेट के लिए गए हुए थे| तभी उनके कानो में किसी की पुकार सुनाई दी, “मेरी रक्षा करो..मेरी रक्षा करो राजन!”
महाभारत का युद्ध अट्ठारह दिन चला था| पहले दस दिन तक कौरव-दल के प्रधान सेनापति भीष्म थे|
एंडी और मैंडी बहुत पक्के मित्र थे | वे बचपन से ही स्कूल में साथ पढ़े थे | जब वे युवा हुए तो उन्होंने तय किया कि वे दोनों अपना व्यापार भी एक साथ करेंगे |
एक संत ने एक रात स्वप्न देखा कि उनके पास एक देवदूत आया है। देवदूत के हाथ में एक सूची है। उसने कहा, ‘यह उन लोगों की सूची है, जो प्रभु से प्रेम करते हैं।’ संत ने कहा, ‘मैं भी प्रभु से प्रेम करता हूं। मेरा नाम तो इसमें अवश्य होगा।’ देवदूत बोला, ‘नहीं, इसमें आप का नाम नहीं है।’
जंगल में ढूढ़ता-ढांढ़ता राजा उस तपस्वी के निकट पंहुचा जो घोर तपस्या कर रहा था| उसका मुख दूसरी ओर था| इसलिए राजा उसे पहचान नहीं पाया कि वह कौन है|
सूरजगढ़ देश में एक राजा था हुकुम सिंह | उसके राज्य में सब तरफ सुख-शांति थी | प्रजा बहुत मेहनती और सुखी थी | चारों ओर हरियाली और खुशहाली का साम्राज्य था |