नांद में कुत्ता – शिक्षाप्रद कथा
किसी गांव में एक कुत्ता रहता था| वह झगड़ालू स्वभाव का था| एक दिन की घटना है कि वह एक अस्तबल में घुस गया और चारे की एक नांद पर चढ़ कर बैठ गया| उसे वह स्थान इतना पसंद आया कि वह दिन भर वहीं लेटा रहा| उधर, जब घोड़ों को भूख लगी तो वे चारा खाने के लिए नांद की ओर आए| मगर वह कुत्ता किसी घोड़े को नांद के पास फटकने ही नहीं देता था| वह हरेक घोड़े पर भौंकता हुआ दौड़ता| बेचारे घोड़े अपना भोजन नहीं कर पा रहे थे| चूंकि चारा कुत्ते का भी भोजन नहीं था, इसलिए हुआ यह कि कुत्ता न तो खुद भोजन खा रहा था और न ही किसी घोड़े को खाने दे रहा था|
नतीजा यह हुआ कि स्वयं वह तथा घोड़े भूखे ही रह गए|
निष्कर्ष: किसी के हक पर जबरदस्ती कब्जा न करो|