लोमड़ी और बकरी – शिक्षाप्रद कथा
एक समय की बात है, एक लोमड़ी घूमते-घूमते एक कुएं के पास पहुंच गई| कुएं की जगत नहीं थी| उधर, लोमड़ी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया| परिणाम यह हुआ कि बेचारी लोमड़ी कुएं में गिर गई|
कुआं अधिक गहरा तो नहीं था, परंतु फिर भी लोमड़ी के लिए उससे बाहर निकलना सम्भव नहीं था| लोमड़ी अपनी पूरी शक्ति लगाकर कुएं से बाहर आने के लिए उछल रही थी, परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी| अंत में लोमड़ी थक गई और निराश होकर एकटक ऊपर देखने लगी कि शायद उसे कोई सहायता मिल जाए|
लोमड़ी का भाग्य देखिए, तभी कुएं के पास से एक बकरी गुजरी| उसने कुएं के भीतर झांका तो लोमड़ी को वहां देखकर हैरान रह गई|
“नमस्ते, लोमड़ी जी!” बकरी बोली – “यह कुएं में क्या कर रही हो?”
“नमस्ते, बकरी जी!” लोमड़ी ने उत्तर दिया – “यहां कुएं में बहुत मजा आ रहा है|”
“अच्छा! बहुत प्रसन्नता हुई यह जानकर|” बकरी बोली – “आखिर बात क्या है?”
“यहां की घास अत्यन्त स्वादिष्ट है|” लोमड़ी बड़ी चतुरता से बोली|
“मगर तुम कब से घास खाने लगी हो?” बकरी आश्चर्य से बोली|
“तुम्हारा कहना ठीक है| मैं घास नहीं खाती, मगर यहां की घास इतनी स्वादिष्ट है कि एक बार खा लेने के बाद बार-बार घास ही खाने को जी करता है| तुम भी क्यों नहीं आ जाती हो?”
“धन्यवाद!” बकरी के मुंह में पानी भर आया – “मैं भी थोड़ी घास खाऊंगी!”
अगले ही क्षण बकरी कुएं में कूद गई| मगर जैसे ही बकरी कुएं के भीतर पहुंची लोमड़ी बकरी की पीठ पर चढ़कर ऊपर उछली और कुएं से बाहर निकल गई|
“वाह! बकरी जी| अब आप जी भर कर घर खाइए, मैं तो चली|”
इस प्रकार वह चतुर लोमड़ी बकरी का सहारा लेकर खुद तो कुएं के बाहर आ गई लेकिन बकरी को कुएं में छोड़ दिया|
शिक्षा: हर किसी पर आंख मूंदकर विश्वास न करो|