सर्वश्रेष्ठ शस्त्र (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर अक्सर दरबार में ठिठोली हेतु कोई-न-कोई सवाल पूछ लिया करते थे| एक बार उन्होंने पूछा कि कौन-सा शस्त्र सर्वश्रेष्ठ होता है?
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सभी दरबारी अपना-अपना राग अलापने लगे-तलवार, भाला, बरछा, तोप इत्यादि… न जाने क्या-क्या नाम लिए जाने लगे| किंतु बीरबल चुप रहा|
“बीरबल तुम चुप क्यों हो… बताओ, कौन-सा शस्त्र सर्वश्रेष्ठ होता है?”
“हुजूर सर्वश्रेष्ठ शस्त्र तो वही है जो जरूरत के वक्त काम दे जाए|”
“वह कैसे?”
“वक्त आने पर बता दूंगा|” बीरबल ने कहा|
बात आई-गई हो गई और कई दिन बीत गए| एक दिन अकबर शिकार खेलने निकले, साथ में बीरबल भी था| बीरबल को याद था कि बादशाह ने सर्वश्रेष्ठ शस्त्र के बारे में पूछा था| अत: वह पूरी तैयारी के साथ उनके साथ हो लिया|
जब दोनों जंगल में पहुंचे तो उनका सामना एक पागल हाथी से हो गया| हाथी तेजी से बादशाह अकबर की ओर बढ़ने लगा| अकबर ने अपनी तलवार निकाल ली किंतु उन्होंने महसूस किया कि तलवार उस हाथी का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी| पीछे लौटने का भी कोई फायदा न था क्योंकि हाथी बहुत तेजी से उनकी ओर बढ़ रहा था| अकबर बेताबी से बीरबल की ओर देखने लगे| बीरबल को वहीं पास में एक कुत्ते का पिल्ला दिखाई दिया| उसने तुरन्त पिल्ले को उठाया और हाथी की तरफ उछाल दिया| पिल्ला के डर के मारे हाथी की सूंड से लिपट गया| हाथी भी इस बिन बुलाई मुसीबत को देख घबरा गया और पीछे की ओर भागने लगा|
अकबर और बीरबल भी वहां से वापस हो लिए| रास्ते में बीरबल ने कहा – “हुजूर मैं न कहता था, जो शस्त्र मौके पर काम दे वही सर्वश्रेष्ठ है… यहां आपकी तलवार बेकार सिद्ध हुई और एक छोटे-से पिल्ले ने हमारी जान बचा दी|”
अकबर कुछ न बोलकर मुस्करा दिए|