पर उपदेश कुशल बहुतेरे
एक बार पक्षियों का राजा अपने दल के साथ भोजन की खोज में जंगल में गया|
‘जाओ और जाकर दाने और बीज ढ़ूँढ़ों| मिले तो बताना…सब मिलकर खाएँगे| राजा ने पक्षियों को आदेश दिया|क या शिक्षाप्रद कहानी को अपने नाम के साथ इस पोर्टल में सम्मलित करने हेतु हमें ई-मेल करें ।
सभी पक्षी दानों की तलाश में निकल पड़े| उड़ते-उड़ते एक चिड़िया उस सड़क पर आ गई जहाँ से गाड़ियों में लदकर अनाज जाता था| उसने सड़क पर अनाज बिखरा देखा| उसने सोचा कि वह राजा को इस जगह के बारे में नही बताएगी| पर किसी और चिड़िया ने इधर आकर यह अनाज देख लिया तो…? ठीक है, बता भी दूँगी लेकिन यहाँ तक नही पहुँचने दूँगी|
वह वापस अपने राजा के पास पहुँच गई| उसने वहाँ जाकर बताया कि राजमार्ग पर अनाज के ढेरों दाने पड़े है| लेकिन वहाँ खतरा बहुत है|
तब राजा ने कहा कि कोई भी वहाँ न जाए|
सब पक्षियों ने राजा की बात मान ली|
उधर मौका देखकर वह चिड़िया चुपचाप अकेली ही राजमार्ग की ओर उड़ चली और जाकर दाने चुगने लगी| थोड़ी देर बाद उसने देखा कि एक गाड़ी तेजी से उसकी तरफ़ आ रही थी|
चिड़िया ने सोचा, गाड़ी तो अभी दूर है| क्यों न दो-चार दाने और चुग लूँ| लेकिन देखते-देखते गाड़ी चिड़िया के ऊपर से गुज़र गई और उसके प्राण पखेरु उड़ गए|
उधर शाम को राजा ने देखा कि वह चिड़िया नही आई है तो उसने सैनिकों को उसे ढूँढ़ने का आदेश दिया|
वे सब ढूँढ़ते- ढूँढ़ते राजमार्ग पर पहुँच गए| वहाँ देखा तो वह चिड़िया मरी पड़ी थी|
राजा ने कहा, ‘इसने हम सबको तो मना किया था किंतु लालचवश वह अपने को नही रोक पाई और प्राणों से हाथ धो बैठी|
शिक्षा: दूसरों को उपदेश देना बहुत सरल है और स्वयं उस पर अमल करना बेहद कठिन| किसी से भी कोई अपेक्षा रखने से पहले स्वयं को उस लायक बनाना पड़ता है| चिड़िया ने दूसरों को तो खतरे से सचेत कर दिया परंतु खुद ख़तरा नही भाँप सकी|