मूर्खराज (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर बीरबल को बहुत मानते थे| बीरबल बड़े बुद्धिमान थे और अपनी विनोदपूर्ण बातों से बादशाह को प्रसन्न रखते थे| अकबर और बीरबल के विनोद की बहुत-सी बातें प्रचलित हैं| उनमें से कुछ बातें बड़े काम की हैं| एक घटना हम यहाँ सुना रहे हैं|
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एक बार बादशाह अपने राजमहल में गये| बादशाह की सबसे प्यारी बेगम उस समय अपनी किसी सखी से बातें कर रही थीं| बादशाह अचानक जाकर खड़े हो गये| बेगम उठ खड़ी हुईं और हँसती हुई बोलीं-‘आइये मूर्खराज!’
बादशाह को बहुत बुरा लगा| लेकिन बेगम ने इससे पहले कभी बादशाह का अपमान नहीं किया था| बादशाह जानते थे कि बेगम बुद्धिमती हैं| वे बिना कारण के ऐसी बात नहीं ख सकतीं| लेकिन बादशाह यह नहीं जान सके कि बेगम ने उन्हें मूर्खराज क्यों कहा| बेगम से पूछना बादशाह को अच्छा नहीं लगा| थोड़ी देर वहाँ रहकर वे अपने कमरे में चले आये|
बादशाह उदास बैठे थे| उसी समय बीरबल उनके पास आये| बीरबल को देखते ही बादशाह ने कहा-‘आइये मूर्खराज!
बीरबल हँसकर बोले-‘जी मूर्खराज जी!’
बादशाह ने आँख चढ़ाकर कहा-‘बीरबल! तुम मुझे मूर्खराज क्यों कहते हो?’
बीरबल ने कहा-‘मनुष्य पाँच प्रकार से मूर्ख कहलाता है| यदि दो व्यक्ति अकेले में बातें कर रहे हों और वहाँ कोई बिना बुलाये या बिना सुचना दिये जा खड़ा हो तो उसे मूर्ख कहा जाता है| दो व्यक्ति बातचीत कर रहे हों और उसमें तीसरा व्यक्ति बीच में पकड़कर उनकी बात पूरी हुए बिना बोलने लगे तो वह भी मूर्ख कहा जाता है| कोई अपने से कुछ कह रहा हो तो उसकी पूरी बात सुने बिना बीच में बोलने वाला भी मूर्ख मना जाता है| जो बिना अपराध और बिना दोष के दूसरों को गाली दे और दोष लगाये, वह भी मूर्ख है| इसी प्रकार जो मूर्ख के पास जाय और मूर्खों का संग करे, वह भी मूर्ख है|’
बादशाह बीरबल के उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए|
तुम इन बातों को स्मरण कर लो| कभी ऐसी कोई भूल तुमसे नहीं होंनी चाहिये कि लोग तुम्हें भी मूर्खराज कह सकें|