मुर्गा (बादशाह अकबर और बीरबल)
अकबर ने बीरबल का मजाक बनाने के उद्देश्य से महल के बाहर बने एक हौज में 20 अंडे डलवा दिए और 20 ही दरबारियों को वहां खड़ा करके हुक्म दिया – “एक-एक कर कूदो और एक-एक अंडा निकाल लो|”
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एक-एक कर दरबारी कूदते रहे और अंडा निकालकर लाते रहे| अंत में अकबर ने बीरबल से कहा – “तुम भी कूदो और एक अंडा निकाल लो|”
बीरबल भी हौज में कूद गए किन्तु उन्हें अण्डा न मिला| मिलता भी कैसे 20 दरबारी पहले ही निकल चके थे 20 अण्डे| बीरबल खाली हाथ हौज से बाहर निकल आया|
उसे खाली हाथ देखकर अकबर हंस पड़े और बोले – “क्यों बीरबल अण्डा नहीं मिला क्या? बाकी सभी तो ले आए|”
बीरबल समझ गया कि उसका मजाक बनाया जा रहा है, किन्तु सहज भाव से बोला – “हुजूर, यह सब भी मेरी ही वजह से तो अण्डा ला पाए हैं|”
“वह कैसे?” अकबर ने पूछा|
“हुजूर, यह सब तो मुर्गियां हैं, एक मैं ही तो मुर्गा हूं इसलिए उन्होंने तो अण्डे दे दिए…पर मैं मुर्गा होकर तो अण्डे दे नहीं सकता था, सो नहीं लाया|”
बीरबल की हाजिरजवाबी पर अकबर मन-ही-मन बेहद प्रसन्न हुए|