मौत बगल से गुजर गई
मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा नगर है| वहाँ एक रेलवे-क्रासिंग पर रेलगाड़ी गुजरने का समय हो गया था| दोनों ओर के फाटक बंद कर दिये गए थे
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इतने पर भी रुककर इंतजार न करने वाले लोग रेल की पटरियाँ पार करके आ-जा रहे थे| उनमें कुछ बच्चे भी थे| इतने में अचानक तेजी से धड़धड़ाती हुई रेलगाड़ी आती दिखाई दी| पटरी पार करने वाले सब बड़े और बच्चे भागकर पार हो गए, पर असमंजस में एक लड़की खड़ी रह गई| उसकी गोद में एक बच्चा था और एक बच्चा उंगली पकड़े रखा था|
रेलगाड़ी के इंजन की सीटी तथा भीड़ की चीख-पुकार से लड़की घबरा गई| वह छोटे बालक की उंगली छोड़कर पटरी पार कर गई| रेलगाड़ी काफ़ी पास आ गई| वह छोटा बालक उस रेलगाड़ी को एक खिलौना-जैसा खड़ा देख रहा था| लोग संभावित दुर्घटना से घबरा गए, कईयों ने तो आँखें बंद कर ली|
उसी समय जयकिशन नामक एक किशोर बिजली की तरह अपनी साइकिल एक ओर फेंककर धड़धड़ाती हुई रेल की परवाह न कर तेजी से झपटा और उस छोटे बालक को लेकर पटरी के पार निकल गया| लोग सांस रोके यह घटना देखते रहे और धड़धड़ाती हुई रेल निकल गई|
सचमुच उस साहसी किशोर जयकिशन के साहस से ही वह बालक बाल-बाल बच गया और मौत बगल से निराश गुजर गई| इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अंतिम क्षणों तक हमें साहस से काम लेना चाहिए|