मित्रों का महत्व
एक बड़ी झील के किनारे एक बाज़ रहता था| कुछ समय बाद एक मादा बाज़ भी दूसरे पेड़ पर आकर रहने लगी| बाज़ ने मादा बाज़ से शादी का निवेदन किया तो उसने कहा कि पहले कुछ मित्र तो बनाओ| क्योंकि जब कभी मुसीबत आती है तो मित्रों का बहुत सहारा होता है|
यह सुनकर नर बाज़ मित्र बनाने के लिए सबसे पहले कछुए के पास गया| उसने कछुए को अपना मित्र बना लिया| उसके बाद वह बिलाव के पास गया| बिलाव के साथ भी उसकी मित्रता हो गई और बिलाव ने उसे बुरे वक्त में काम आने का वादा भी किया| उसके बाद शेर के पास पहुँचा और उससे भी दोस्ती कर ली|
अब वह वापस मादा बाज़ के पास आया और उसने उससे शादी कर ली| नदी के किनारे जहाँ कछुआ रहता था, उसके पास कदम्ब के वृक्ष पर घोंसला बनाकर वह भी रहने लगे| कुछ ही दिनों बाद मादा बाज़ ने अंडे दिए, जिनमें से दो सुंदर बच्चों ने जन्म लिया|
एक दिन दो शिकारी वहाँ शिकार खेलने आए, किंतु उन्हें कोई शिकार नही मिला| वे थक-हारकर कदम्ब के पेड़ के नीचे बैठ गए| अचानक उनकी निगाह पेड़ पर बाज़ के बच्चो पर जा पड़ी| उन्होंने विचार किया क्यों न पेट की भूख शांत करने के लिए बाज़ के बच्चों का शिकार किया जाए| लेकिन अँधेरा काफ़ी दूर हो चुका था| इसलिए उन्होंने पहले आग जलाने का इरादा किया|
बाज़ ने जब यह देखा तो वह सोच में डूब गया| वह तुरंत बिलाव के पास पहुँचा और उससे सारी व्यथा कह सुनाई|
बिलाव ने उसे आश्वासन दिया ओर बाज़ के साथ चल पड़ा|
बिलाव और बाज़ जब वापस पहुँचे तो देखा कि एक शिकारी पेड़ पर चढ़ रहा है|
बिलाव ने तुरंत नदी में डुबकी लगाई और आग के ऊपर पानी का छिड़काव कर दिया| इस प्रकार उसने दो-तीन बार डुबकी लगाई और आग बुझा दी|
वह शिकारी फिर से अँधेरा हो जाने के कारण नीचे उतर आया| दोनों शिकारी फिर आग जलाने लगे| लेकिन बिलाव ने फिर पानी से उसे बुझा दिया| इस तरह कई बार यह क्रम चला|
उधर बिलाव भी काफ़ी थक चुका था|
अब बाज़ अपने मित्र कछुए के पास पहुँचा और उसे सारा हाल कह सुनाया तो तुरंत तैयार हो गया|
वह शिकारियों के सामने जा पहुँचा|
शिकारियों ने बड़ा कछुआ देखा तो उनकी आँखों में लालच के भाव आ गए| उन्हें लगा कि उनका कई दिनों का भोजन आ गया है| उन्होंने अपनी-अपनी कमीज़ पहने-पहने फाड़कर उनसे कछुए को बाँधना शुरु कर दिया|
कछुआ काफ़ी बड़ा और ताकतवर था| उसने उन दोनों को पानी के अंदर खींचना शुरु कर दिया|
दोनों गिरते-पड़ते पानी की ओर खींचने लगे| अचानक एक शिकारी चिल्लाया, ‘अगर जान बचानी है तो अपनी कमर से कमीज़ खोल दो|’ यह कहकर उसने अपनी कमर से भी कमीज़ खोल दी| इस तरह दोनों की जान बच गई|
अब वह फिर आग जलाने का प्रयत्न करने लगे| उनके मन में यही विचार आया की आज रात बाज़ के बच्चों को मारकर ही गुज़ारा कर लेंगे|
उधर बाज़ ने कुछ देर सोचा और फिर वह शेर की गुफ़ा की तरफ़ बढ़ चला| उसने शेर के पास जाकर अपनी दुखभरी दास्तान सुनाई तो शेर तुरंत बाज़ के साथ चल पड़ा|
शेर की गर्जना सुनकर दोनों शिकारी सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए|
बाज़ ने अपने मित्रों को धन्यवाद किया और मित्रता के महत्व को समझा|
शिक्षा: मित्रता करने का दम तो बहुत से लोग भरते हैं लेकिन कितने ऐसे होते हैं जो निभाने का दम भी रखते हो| मित्रता ऐसी हो कि लोग उसकी मिसाल दे| सच्चे मित्र की पहचान संकट के समय ही होती है| जो संकट के समय काम आए वही सच्चा मित्र है|