मन्त्री की खोज
एक राजा को एक मन्त्री की आवश्यकता थी| उसने घोषणा की, “जो तालाब के जमवत को बिना पानी में उतारे हुए बाँध देगा वही मन्त्री होगा|”
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जमवट विशाल तालाब के बीच में था| अनेक शक्तिशाली व्यक्तियों ने बाँधने की चेष्टा की| रस्सी को लपेटा और सम्पूर्ण शक्ति से फेंका, मगर रस्सी चौथाई दूरी भी पार न कर सकी| लोगो ने घोषणा कर दी कि बिना पानी में उतरे जमवत में बाँधना असम्भव है|
एक दिन एक व्यक्ति आया, जो बिना पानी में उतरे ही जमवट बाँध देने के लिए तैयार था| लोग जुटे| राजा, रानी और दरबारी आये| उस व्यक्ति ने एक स्थान पर खूँटी गाड़ी| एक छोर उसमें बाँधा फिर रस्सी ढीला करता हुआ तालाब के चारो ओर घुमाता गया| खूँटी के पास आकर दूसरी गाँठ लगाकर रस्सी खीचने लगा| लोगो ने समझ लिया कि जैसे ही वह रस्सी खीचें लेगा, जमवत बँध जायेगा| हल्ला हुआ| तालियाँ बजी और जमवत बँध गया| राजा मुस्काये| उन्हें मन्त्री मिला गया था| यह बुद्धि का कमाल था|