लालच बुरी बला
बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था| एक हिरण रोज़ राजा के बाग में घास चरने आता था| कुछ दिनों में हिरण राजू को देखने का अभ्यस्त हो गया और उसने भागना छोड़ दिया| बहुत समय पहले की बात है| काशी नरेश के यहाँ राजू नामक माली काम करता था|
एक दिन की बात है- माली महल के लिए फल-फूल ले जा रहा था कि राजा ने उसे टोका, ‘राजू, तुमने बाग में कोई अनोखी चीज़ देखी है?’
‘जी, मैंने कुछ खास तो नही देखा| पर हाँ, एक जंगली हिरण कभी-कभार घास चरने ज़रुर आता है|’ राजू ने कहा|
‘वह हिरण तुम्हारी पकड़ में आ सकता है?’ राजा ने पूछा|
‘अवश्य! थोड़ा-सा शहद मिल जाए तो मैं उसे महल में भी ला सकता हूँ|’ राजू ने विनम्रता से कहा|
राजा ने मंत्री को आदेश दिया कि राजू को शहर दे दिया जाए|
राजू ने उस स्थान की घास पर शहद लगा दिया, जहाँ हिरण रोज़ घास चरता था|
थोड़ी ही देर में हिरण आ गया और घास चरने लगा, ‘ओह! आज तो घास बड़ी मीठी है|’
उधर राजू माली खुश हो गया क्योंकि उसकी तरकीब काम कर रही थी| फिर वह आगे की तैयारी करने लगा| हिरण को शहदवाली घास इतनी अच्छी लगी कि उसने और जगह जाना ही बंद कर दिया| धीरे-धीरे राजू हिरण से घुल-मिल गया और उसे अपने हाथों से मीठी घास खिलाने लगा|
एक दिन इसी तरह हिरण को मीठी घास खिलाता हुआ राजू महल के अंदर ले आया| हिरण बेचारा सीधा-सादा था| महल के अंदर पहुँचते ही राजू ने दरवाजा बंद कर दिया|
हिरण समझ गया कि वह फँस गया है, सो डरकर इधर-उधर भागने लगा|
राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ| उसने सोचा कि हिरण तो डरपोक होते हैं| इस हिरण को मीठी घास का ऐसा चस्का लगा कि इसे अपना ही होश नही है|
राजा हिरण से बोला, ‘संसार में जीभ के स्वाद के प्रति आसक्ति से बुरी दूसरी कोई चीज़ नही है| तुमने आज हमें यह अनमोल सीख दी है| जाओ, तुम जहाँ जाना चाहो, जा सकते हो| अब तुम आज़ाद हो|’
इतना कहकर राजा ने हिरण को आज़ाद कर दिया|
शिक्षा: स्वादिष्ट व्यंजनों का लोभ संवरण सरल नही| स्वयं आजमा कर देखें- जब कुछ स्वादिष्ट बनता हे तो क्या आप भूख से कुछ अधिक नही खा लेते? जीभ का तो काम ही है स्वाद लेना और आपका काम है इसे नियंत्रण में रखना| अतः जीभ को किसी भी स्वाद का गुलाम न बनाएँ|