जादुई डंडा

एक खरगोश बेहद आलसी और कामचोर था| एक बार वह पेड़ के नीचे बैठा था| वही एक डंडा भी पड़ा था| खरगोश ने वह डंडा उठा लिया और उसे ज़मीन पर मारने लगा| ज़मीन पर डंडा मारते हुए वह सोच रहा था कि काश मुझे ढेर सारी गाजरें मिल जाती|

अभी उसने यह बात सोची ही थी कि वहाँ गाजरों का ढेर लग गया| इतनी सारी गाजरें देखकर खरगोश सोचने लगा, ‘कहीं यह जादुई डंडा तो नही है|’

उसने डंडे को पुनः आजमाने के लिए ज़मीन पर मारा और कहा, ‘मुझे हरी-हरी घास खाने को चाहिए|’

खरगोश के कहने की देर थी कि वहाँ घास का गठ्ठर आ गया| खरगोश को यकीन हो गया कि यह जादुई डंडा है|

खरगोश के तो अब दिन ही फिर गए| वह सारा दिन खता और सोता|

एक दिन उसके मन में ख्याल आया कि उसके पास खाने की भले ही कोई कमी नही है किंतु वह बड़े जानवरों से असुरक्षित है| वह काफ़ी देर तक सोचता रहा| फिर उसके दिमाग में एक बात आई|

उसने डंडे को ज़मीन पर मारा और कहा, ‘मुझे शेर बना दो और जंगल के राजा शेर को खरगोश|’

पलक झपकते ही खरगोश शेर बन गया| शेर बनते ही वह खरगोश की गुफ़ा में गया और वहाँ शेर से खरगोश बने शेर को भगा दिया और स्वयं रहने लगा|

अब वह खरगोश स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहा था| चूँकि वह खरगोश केवल जादू के असर से शेर बना हुआ था, अतः सारा दिन गाजर खाता और सोता|

उधर चापलूस लोमड़ी ने देखा कि शेर तो गुफ़ा से बाहर ही नही निकल रहा है तो उसे बड़ी चिंता हुई| क्योंकि वह तो शेर के सहारे ही अपना भोजन जुटाती थी| शेर जिस भी जानवर का शिकार करता उसका बचा-खुचा हिस्सा लोमड़ी को ही मिलता था|

अंततः जब लोमड़ी से रहा न गया तो वह शेर से मिलने उसकी गुफ़ा में गई और उसे शिकार पर चलने को कहा|

पर वहाँ असल शेर तो था ही नही| अतः उसने अंदर से ही लोमड़ी को भगा दिया|

लोमड़ी को तो अपनी भूख मिटानी ही थी| वह दूसरे शेर को जंगल में बुला लाई| तब जंगल के सभी जानवर अपने शेर के पास गए| अब शेर बना वह खरगोश डर गया| वह भला असली शेर को कैसे भगाता| उसने उस वक्त तो सभी जानवरों को आश्वासन देकर वापस भेज दिया|

जब सब जानवर चले गए तो खरगोश ने सोचा कि अपने वास्तविक रूप में ही जीवन व्यतीत करना बेहतर है| जो काम शेर का है वह शेर ही कर सकता है| उसने जादुई डंडे को ज़मीन पर मारा और स्वयं को वापस खरगोश और पुनः शेर के रूप में बनाने को कहा|

खरगोश बनते ही वह शेर की गुफ़ा से तेजी से निकल भागा और अपने साथी खरगोशों के झुंड में ही रहने लगा|

शिक्षा: प्रकृति की लीला विचित्र है| उसने हर कार्य के नियम-सिद्धांत तय कर रखे है| जो भी इसके विरुद्ध काम करता है उसे दंड भोगना ही पड़ता है| खरगोश ने भी इस नियम को भंग किया और जब इसके कुफल सामने आए तो तोबा कर ली|