इनाम

इनाम

होरोशियों नेलसन एक दरिद्र लड़का था| जब उसके मामा मारीच साक्लेंग एक समुंद्री जलयान के कप्तान बने, तब उनके भांजे ने पत्र लिखकर उनसे प्रार्थना की कि वह उन्हें किसी नौकरी पर लगा दे|

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नेलसन कुछ ही वर्षों में अपनी मेहनत से एक कुशल नाविक बन गया| युवक नेलसन को उसके मामा उत्तरी ध्रुव की खोज में जाने वाले रेसहार्स जहाज पर अपने साथ ले गए| जलयान ने एक दिन लंगर डाला| साथियों सहित नेलसन खाने-पीने का सामान जुटाने निकल पड़ा| ये सब नौसैनिक अभी कुछ ही दूर गए थे कि एक बड़े आकार के हिंसक रीछ ने उन पर हमला कर दिया| सब युवक रीछ को देखकर भाग गए, परंतु युवक नेलसन अकेला डटा रहा| बंदूक की गोलियाँ समाप्त होने पर भी बंदूक के कुंदे से ही रीछ से जूझता रहा| साथियों ने भागकर जहाज के कप्तान को सारी घटना सुनाई सैनिकों समेत वह वहाँ आए| उस रीछ को सबने घेरकर धराशायी कर दिया| जहाज के कप्तान ने पूछा- “अपने साथियों के साथ भागकर तुम जहाज पर क्यों नहीं आ गए?”

उस युवक नेलसन ने उत्तर दिया- “विपति से घबराकर मैदान छोड़ना कायरों का काम है| मैंने फैसला कर लिया था कि इस रीछ को खत्म करके ही रहूँगा?” कप्तान ने पूछा- “तुम्हें तुम्हारी बहादुरी का क्या इनाम दिया जाए?” युवक ने जवाब दिया- “मुझे इस मरे रीछ की खाल दे दी जाए, जिसे मैं अपने मित्रों को दिखाकर उन्हें भी भयहीन साहसी बनने की प्रेरणा दे सकूँ|”

आगे चलकर यही साहसी युवक ब्रिटिश नौसेना का सर्वश्रेष्ठ सेनापति बना| उसने ही फ्रांस के सेनापति नेपोलियन को पराजित किया था|

साहसी व्यक्ति कभी हिम्मत नहीं हारते|