हीरे की खोज
एक आदमी को यह ज्ञात हुआ कि जंगल में हीरे की खान है| हीरे की खान ढूँढ़कर वह हीरा पाने के लिए जंगल की ओर चल पड़ा| इतने में रास्ते में एक शेर मिला|
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वह हीरे भूल गया| शेर से बचाव के लिए दौड़ने लगा| वह भागते-भागते एक ऐसे इस स्थान पर पहुँचा, जहाँ रास्ता खत्म हो जाता था| सामने एक गहरा गड्ढा था| उस गड्ढ़े में एक वृक्ष की जड़ लटक रही थी| उनको पकड़कर वह लटक गया| उसके पीछे शेर भी ऊपर पहुँच गया था| नीचे झुककर देखा तो नीचे एक अजगर उसके गिरने का इंतजार कर रहा था|
उस बदकिस्मत व्यक्ति ने जब पेड़ की जड़ों को देखा तब पाया कि जड़ों को काले-सफेद दो चूहे काट रहे हैं| उसे अचानक अपने सिर पर गीला-सा लगा| देखा पेड़ पर शहद की मक्खियों ने एक छत्ता बना रखा है| उस समय वह अपनी भीषण स्थिति भूलकर छत्ते से गिरते हुए मीठे शहद को चाटने लगा| यह भूल गया कि वह हीरे की खान खोजने निकला था| उसे ऊपर खड़ा शेर तथा नीचे निगलने को तैयार अजगर की भी याद न रही| वह पेड़ की जड़ काटने वाले काले-सफेद चूहों को भी भूल गया| उसे केवल उस मीठे शहद की याद रही| कुछ देर बाद ऊपर का शेर चला गया तो वह चूहों के जड़ काटने से पूर्व ही पेड़ के सहारे ऊपर आ गया|
अपने जीवन-लक्ष्य को भूला इंसान सारे खतरे भूल जाता है और वह जीवन के दुःख देने वाले क्षणिक सुख में ही रमा रहता है| इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि मनुष्य खतरों को भूल जाए तो खतरा टल जाता है|