घमंडी कौए

आसमान पर काले घने बादल घिर आए थे| मैना जल्दी से उठकर अपने घोंसलें में पहुँचना चाहती थी| अंधेरा भी हो चला था और उसका घोंसला अभी दूर था| मौसम खराब होता देख उसने नीम के एक पेड़ पर रुकने का फैसला किया| उसी पेड़ पर बहुत से कौए भी थे| जैसे ही उन कौओं की नज़र उस मैना पर पड़ी तो वे ‘काँव-काँव’ करते हुए मैना पर टूट पड़े और कहने लगे, ‘हमारे पेड़ से भाग जाओ|’

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मैना ने डरते हुए कहा, ‘भाई! पेड़ तो सबका होता है और फिर मौसम भी खराब है, कभी-भी बरसात हो सकती है| मुझ पर तरस खाओ और कुछ देर यहाँ रुकने दो|’

पर कौओं ने मैना की एक भी ना सुनी| अंततः मैना उनके डर से उस पेड़ से उड़कर दूसरे पेड़ पर बैठ गई| संयोग से उस पेड़ कि एक डाली टूटी होने के कारण वहाँ कोटर बन गया था| मैना उसी कोटर में जाकर बैठ गई|

कुछ ही देर में तेज़ बरसात होने लगी और ओले बरसने लगे| मैना तो दूसरे पेड़ के कोटर में बैठी होने के कारण ओलों से सुरक्षित थी, किन्तु कौओं में भगदड़ मच गई| कई कौए ओलों की मार से घायल हो गए, कुछ तो मर भी गए|

जब मौसम कुछ साफ़ हुआ तो मैना बाहर निकली और उड़ चली अपने घोंसले की ओर| तभी उसकी नज़र नीम के पेड़ के नीचे पड़ी| वहाँ कई कौए ओलों की मार से घायल पड़े कराह रहे थे| उनकी नज़र जब मैना पर पड़ी तो एक बोला, ‘तुम प्रकृति के कहर से कैसे बच गई?’

‘मेरी मदद तो भगवान ने की| क्योंकि मैंने उन्हें सच्चे दिल से याद किया था; और मुझ में तुम्हारी तरह घमंड भी नही है|’ मैना उड़ते-उड़ते बोली|


कथा-सार 

संकट में पेड़ किसी भी प्राणी की सहायता करनी चाहिए| उस समय छोटे-बड़े का भेद करना ठीक नही| कौए जिस पेड़ पर बैठे थे, उस पर उन्होंने मैना को नही बैठने दिया| मज़बूरी में उसे दूसरे पेड़ पर शरण लेनी पड़ी| लेकिन इसमें भी भलाई छिपी थी| ओले पड़ने पर पहले पेड़ पर बैठे और कौए तो हताहत हो गए लेकिन दूसरे पेड़ के कोटर में छिपी मैना सुरक्षित बच गई|