धूर्त सियार
एक जंगल में कुछ बदमाशों की दावत चल रही थी| उनमें से एक न डींग हांकी कि इतनी रात गए भी मैं माँस ला सकता हूँ| फिर वह माँस विक्रेता की दुकान पर गया और बोला, ‘मुझे कुछ माँस चाहिए, मिलेगा?’
माँस विक्रेता ने कहा, ‘माँस तो नही है लेकिन चाहो तो मदिरा (शराब) दे सकता हूँ|’
निराश बदमाश हाथ मलता हुआ लौट रहा था| तभी उसने सोचा कि शमशान के निकट झाडियों में छिपकर एकाध सियार को मारकर माँस प्राप्त करुँगा|’ फिर वह हाथ में गदा लेकर चल पड़ा|
जब वह जंगल में पहुँचा तो उसने सोचा, ‘में साँस रोककर सीधा लेट जाता हूँ| मुझे मरा समझकर सियार दौड़े आएँगे| जैसे कोई सियार पास आएगा, तो मैं गदा-प्रहार से उसे मार डालूँगा|’
कुछ ही देर बाद सियारों का एक समूह वहाँ आ पहुँचा|
‘अरे…रे! देखो, वहाँ एक लाश पड़ी है| चलो, उसे उठाकर ले चलते हैं|’
‘ठहरो, पहले मुझे अच्छी तरह परख लेने दो|’ सियारों के मुखिया ने कहा|
सियारों के मुखिया ने हवा में गंध सूँघी| तभी उसकी निगाह गदा पर जा पड़ी| उसने अपने साथियों को बताया कि यह तो जीवित है और अगर हम वहाँ पहुँच जाते तो वह एकाध को तो ज़रुर ही मार डालता| तुम सब यही ठहरो, मैं इस बदमाश को अभी मज़ा चखाकर आता हूँ|
मुखिया दबे पाँव उस आदमी के पास पहुँचा| उसने गदा को दाँतों में दबाकर धीरे-से खींचा|
‘लगता है कोई बड़ा चूहा है| गदा को कसकर पकड़ लूँ|’ लेटे-लेटे बदमाश ने सोचा|
अगले ही पल सियार ने झटका देकर गदा छोड़ दी|
बदमाश हड़बड़ाकर उठा तो देखा की बहुत सारी सियार उसे घेरे खड़े है| उसने गदा उठाई और सियारों की ओर फेंकी, किंतु वार चूक गया|
सियार वहाँ से भाग खड़े हुए|
वह सोचने लगा कि इतनी डींग हाँकने के बाद दोस्तों के सामने कैसे जाऊँ? भलाई इसी में है कि चुपचाप घर जाकर सो जाऊँ|
शिक्षा: किसी भी व्यक्ति को बेपर की नही उड़ानी चाहिए| वाणी में संयम बरतना बहुत जरुरी है| ऐसी डींग नही हाँकनी चाहिए कि बाद में उपहास का पात्र बनना पड़े| व्यर्थ बकवास करने में अपना ही नुकसान है|