छोटी-से चीज
किसी देश में एक बहुत ही न्यायप्रिय राजा था | वह अपनी प्रजा के हितों की रक्षा करना भली-भांति जानता था | उसने अनेक गुप्तचरों को नियुक्त कर रखा था, जो देश के लोगों के हालात की सही जानकारी दे सकें |
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राजा को फिर भी पूरी तसल्ली नहीं होती थी | वह अक्सर शाम को भेष बदल कर लोगों की स्थिति का पता लगाने निकल जाता, फिर देर रात्रि तक महल वापस लौटता था |
एक दिन एक गली में कुछ डकैतों को उसने डकैती की योजना बनाते देखा | राजा का खून खौल उठा कि उसके देश में चोर-लुटेरे भी रहते हैं | राजा के उन डाकुओं को ललकारा तो डाकू राजा के ऊपर झपट पड़े | राजा उनसे लड़ाई लड़ ही रहा था कि चार-पांच युवक उधर से आ निकले | उन युवकों ने एक अकेले व्यक्ति को लुटेरों से लड़ाई करते देखा तो तुरंत उसे बचा लिया और डाकुओं पर टूट पड़े |
डाकू घबराकर भाग गए | युवकों ने राजा को पहचाना नहीं था | एक युवक बोला – “क्षमा कीजिए, आपको इन डाकुओं से अकेले भिड़ना पड़ा | आप हमें बताइए कि आप कहां रहते हैं, हम आपको वहीं छोड़ देंगे |”
राजा ने कहा – “नहीं, इसकी आवश्यकता नहीं है, आप जैसे योग्य युवक हमारे देश में रहते हैं तो मैं अकेला कहा हूं | आप भी मेरे मित्र ही हैं |”
राजा कुछ देर बातें करता हुआ उनके साथ चल दिया और बातों-बातों में उन युवकों का नाम पता आदि पूछ लिया | वे सभी अलग स्थानों पर रहते थे | कुछ दूर तक सब साथ चलते रहे, फिर आधी रात हो जाने पर सब अपने-अपने घर चले गए | राजा भी चुपचाप पिछले दरवाजे से राजमहल में जाकर सो गया | सुबह को राजा ने उठकर उन युवकों को राजदरबार में आने का न्योता भेजा | वे सभी युवक यह सुनकर बहुत हैरान हुए कि राजा ने उन्हें बुलाया है | उनमें से कुछ युवक डर के मारे घबरा रहे थे कि कहीं उनसे अनजाने में कोई गलती हो गई है, जिसकी उन्हें सजा मिलने वाली है |
जब युवक राजमहल में पहुंचे तो उन युवकों को बैठक में बिठा दिया गया | कुछ देर बाद सिपाही अपने साथ युवकों को राजा के सामने ले गए | युवक यह देखकर विस्मित रह गए कि रात में डकैतों से टक्कर लेने वाला व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि उस देश का राजा था | उन्होंने राजा को झुक कर प्रणाम किया |
राजा ने कहा – “तुम सब मेरे मित्र हो अत: तुम्हें प्रणाम नहीं, मेरे गले से लगना चाहिए |
सभी युवक राजा की बात सुनकर बहुत खुश हो गए | राजा ने उन पांचों युवकों को गले लगाते हुए कहा – “तुम सभी मेरे मित्र हो | मैं चाहता हूं कि तुम लोग अपनी-अपनी एक इच्छा बताओ | यदि मेरे वश में हुआ तो मैं तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करूंगा | वैसे जब कभी तुम्हें कोई चीज की आवश्यकता हो तो तुम मेरे पास आ सकते हो |”
राजा की बात सुनकर सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे और सोचने लगे कि राजा से क्या मांगा जाए ? एक युवक ने कहा – “मैं एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहता हूं, यदि हो सके तो आप उसकी मरम्मत करा दीजिए |”
राजा ने अपने मंत्री को आदेश दिया कि इस युवक को एक बड़ा मकान तैयार करा कर दिया जाए, फिर राजा ने दूसरे युवक से पूछा तो उसने कहा – “मेरे घर की हालत बहुत ही खराब है | हम बहुत गरीब हैं | मुझे कुछ धन मिल जाता तो मेरे पिता और मैं कोई व्यवसाय शुरू कर देते |”
राजा ने आदेश दिया कि इस व्यक्ति को ढेर सारा धन दिया जाए ताकि यह अपना व्यापार जमा सके | फिर तीसरे युवक ने अपनी इच्छा इस प्रकार प्रकट की – “मैं पढ़ा-लिखा बेकार युवक हूं | मेरे माता-पिता चाहते हैं कि मैं नौकरी पर लग जाऊं ताकि कुछ कमा सकूं | मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मेरी नौकरी कहीं लगवा दीजिए |”
राजा ने उस युवक को एक अच्छे पद पर नौकरी दिलवाने का आदेश दिया और वह युवक खुश हो गया | अब चौथे युवक की बारी थी | वह कुछ देर तक सोचता रहा कि राजा से क्या मांगूं | राजा ने कहा – “प्रिय मित्र ! तुम्हें जो कुछ चाहिए, नि:संकोच मांगो | यदि मेरे वश में हुआ तो अवश्य दिलवाने का प्रबन्ध करूंगा |”
तब वह युवक बोला – “महाराज, मैं जानता हूं कि आप मेरी सभी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं | मेरा घर यहां से तीस कोस दूर है और मुझे कच्ची व उबड़-खाबड़ सड़क से होकर घर पहुंचना पड़ता है | यदि हो सके तो मेरे घर तक जाने वाली सड़क को पक्का करा दीजिए |”
राजा ने अपने सिपाहियों व कर्मचारियों को आदेश दिया कि इस युवक के घर के आस-पास तक सभी सड़कें पक्की बनवा दी जाएं | चारों युवक खुश थे कि उनकी इच्छा जल्दी ही पूरी होने वाली है | वे सोच रहे थे कि उनका पांचवां मित्र तो सुंदर कन्या से विवाह कराने की प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसके माता-पिता उसके लिए सुंदर व होशियार बहू की तलाश में हैं |
तभी पांचवें युवक ने राजा से कहा – “महाराज, छोटा मुंह बड़ी बात न समझें तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं |”
राजा ने कहा – “तुम्हें जो भी कहना हो, नि:संकोच कहो |”
इस पर युवक ने कहा – “महाराज, मैं चाहता हूं कि आप वर्ष में एक बार मेरे घर अतिथि बनकर आएं |”
चारों युवक अपने मित्र की ओर अजीब-सी नजरों से देखने लगे कि उनके मित्र ने मांगा भी तो क्या मांगा | वे सोचने लगे कि आज इसकी अक्ल घास चरने गई जो इसने ऐसी बेतुकी इच्छा जाहिर की है |
राजा युवक की इच्छा सुनकर थोड़ा असमंजस में पड़ गया | चूंकि उसने वायदा किया था कि यदि उसके वश में होगा तो उसकी इच्छा अवश्य पूरी करेगा | अत: राजा ने उसकी इच्छा पूरी करने की स्वीकृति दे दी |
सभी युवक अपने-अपने घर चले गए | कुछ दिन यूं ही बीत गए | चूंकि उस पांचवें युवक के यहां राजा को अतिथि बन कर जाना था, इस कारण उसके लिए एक बड़े और आलीशान मकान के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई और उस युवक को उस आलीशान मकान में अपने परिवार के साथ रहने के लिए भेज दिया गया |
फिर उस युवक के घर के कामों के लिए अलग अनेक नौकरों-चाकरों का प्रबन्ध किया गया ताकि जब राजा वहां रहने जाएं तो उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो |
अब उसके इतने सारे खर्च इतनी आसानी से नहीं चल सकते थे, इस कारण उसके लिए राजकोष से एक बड़ी धनराशि नियमित रूप से भिजवाने का इंतजाम कर दिया गया | उसके घर राजा को अतिथि बनकर जाना था और राजा ऊंची-नीची और ऊबड़-खाबड़ सड़कों से यात्रा नहीं कर सकता था, इसलिए उस युवक के मकान तक चारों ओर से नई सड़कों का निर्माण किया गया |
वह युवक बहुत खुश था कि उसे अपने मित्रों से कहीं अधिक मिल चुका था | तभी राजा को पता लगा कि वह युवक कोई छोटा-मोटा काम करता है | यह राजा की शान के खिलाफ था कि वह किसी छोटे आदमी के घर मेहमान बन कर जाए, वह भी चौबीस घंटे यानी रात्रि तक के लिए |
राजा ने आदेश दिया कि उस युवक को राजदरबार में अच्छे पद पर नियुक्त किया जाए | युवक को मुख्य राजदरबारी की नौकरी भी दे गई | अब राजा का उस युवक के यहां जाने का दिन निश्चित हो गया, लेकिन एक समस्या फिर भी आ रही थी | शाही कानूनों के अनुसार राजा किसी अजनबी युवक के यहां मेहमान बनकर नहीं जा सकता था |
राजा ने अपने मंत्री से सलाह की | मंत्री ने बताया कि वह युवक बहुत ही होनहार व बुद्धिमान है | क्यों न इसका विवाह आपकी पुत्री से कर दिया जाए ? राजा को बात जंच गई और राजा ने उस युवक के यहां सूचना भिजवाई कि वह अपनी पुत्री का विवाह उस युवक से करना चाहता है | वह युवक खुशी से फूला नहीं समाया |
कुछ ही दिनों में उस युवक का राजकुमारी से विवाह हो गया | अब राजा उस युवक के यहां हर वर्ष एक दिन के लिए मेहमान बन कर जाने लगे, क्योंकि अब वह युवक अजनबी नहीं बल्कि उनका दामाद बन गया था | राजा अपने दामाद की बुद्धिमत्ता से बेहद खुश था कि उस युवक ने देखने में छोटी-सी चीज मांगकर इतनी बड़ी चीज मांग ली थी |