Homeशिक्षाप्रद कथाएँचिराग तले अंधेरा (बादशाह अकबर और बीरबल)

चिराग तले अंधेरा (बादशाह अकबर और बीरबल)

शाम के समय बादशाह अकबर और बीरबल महल के बुर्ज पर टहल रहे थे| तभी उन्हें ‘पकड़ो-पकड़ो, चोर-चोर’ आदि की आवाजें सुनाई दीं| पता करने पर मालूम हुआ कि कोई चोर एक परदेसी को महल के सामने से ही लूट कर भाग गया है|

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बादशाह अकबर काफी नाराज हुए| उन्होंने गुस्से में बीरबल से पूछा -“हमारे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि चोर महल के सामने भी चोरी करने से नहीं डरते?”

“हुजूर, हमारी सुरक्षा व्यवस्था बहुत मजबूत है| चोर जल्दी ही पकड़ा जाएगा|” बीरबल ने जवाब दिया| किंतु बादशाह को संतुष्टि नहीं हुई, उनका गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा था|

यह देखकर बीरबल ने उन्हें समझाते हुए कहा – “आलमपनाह, आप तो जानते हैं कि जब चिराग जलता है तो चारों ओर रोशनी कर देता है, किंतु उस चिराग तले तो अंधेरा ही होता है| चिराग लाख कोशिश कर ले, फिर भी उसके नीचे रोशनी नहीं जा सकती| इसी तरह हमारी सुरक्षा व्यवस्था भी बहुत मजबूत है और इस सुरक्षा की रोशनी चारों ओर फैली हुई है, आप निश्चिंत रहें चोर अवश्य पकड़ा जाएगा|”

बीरबल की बात का मतलब समझ गए बादशाह अकबर|

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