चतुर मदारी

किसी गाँव में एक नटखट बंदर ने बड़ा उत्पात मचा रखा था| वह लोगों के घरों में घुसकर खाने-पीने की चीजें लेकर भाग जाता| बच्चों-बड़ों को काट खाता| छतों पर सूख रहे कपड़ों को उठाकर ले जाता|

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इतना होने पर भी किसी की हिम्मत उसे पकड़ने की नही हो पा रही थी| उसकी शैतानियों से गाँव के लोग बहुत दुखी थे| एक दिन सबने मिलकर इस बात पर विचार किया कि उत्पाती बंदर को पकड़ा कैसे जाए, मगर किसी को कोई राह न सूझी|

एक दिन उस गाँव में एक मदारी आया| लोगों ने अपनी समस्या उसके सामने रखी| वह मदारी बोला, ‘मैं बंदर को पकड़ सकता हूँ|’

सुनकर लोगों ने राहत की साँस ली| मदारी बाज़ार गया और वहाँ से ऐसे मटके खरीद लाया, जिनके मुहँ बहुत ही तंग थे| उसने उन मटकों में चने डालकर मकानों की छतों पर रखवा दिए|

मदारी ने बताया कि शाम होने पर सब अपनी-अपनी छतों पर जाकर देखे और जिसका छत पर भी बंदर बैठा हो, वह उसे सूचना दे|

एक व्यक्ति ने मदारी को बंदर के अपनी छत पर बैठे होने कि सूचना दी| मदारी उस छत पर गया और बंदर को सरलता से पकड़ लिया|

लोगों ने पूछा, ‘चनों में ऐसा क्या जादू था जो बंदर इतनी आसानी से पकड़ में आ गया?’

तब मदारी ने बताया कि चनें बंदरों को बहुत प्रिय होते है| छत पर मैंने छोटे मुहँ के घड़े इसलिए रखे थे कि उसका हाथ आसानी से अंदर चला जाए और जब वह चनों को मुट्ठी में भरकर हाथ बंद करके बाहर निकाले तो उसका हाथ फँस जाए|

चनों का लालच न छोड़ पाने के कारण बंदर पकड़ा गया|


कथा-सार

बंदर की चतुराई के सामने गाँव वाले बेबस इसलिए थे क्योंकि वे बुद्धिबल से काम लेना नही जानते थे| लेकिन मदारी चतुर सुजान था| उसने बुद्धिबल से काम लेकर बंदर को पकड़ लिया| अतः जहाँ अन्य सभी उपाय असफल हो जाए, वहाँ बुद्धिबल से काम लेकर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है|

अकबर की