ब्राह्मण की इच्छा (बादशाह अकबर और बीरबल)
एक गरीब अनपढ़ ब्राह्मण मांगकर अपना गुजारा चलाता था| उस ब्राह्मण की हार्दिक इच्छा यह थी कि लोग उसे पंडितजी कहें किंतु उस अनपढ़ को पंडितजी कौन कहता|
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एक दिन जब वह ब्राह्मण भिक्षा मांगता हुआ गली-गली घूम रहा था तो उसकी मुलाकात बीरबल से हुई| उसे देखकर ब्राह्मण को लगा कि बीरबल ही उसकी इच्छा पूरी कर सकता है| वह बीरबल के पास गया और बोला – “हुजूर, मैं एक अनपढ़ ब्राह्मण हूं, पर मेरी इच्छा यह है कि लोग मुझे पंडितजी कहें| मैं जानता हूं आप बहुत बुद्धिमान हैं और मेरी इच्छा पूर्ण कर सकते हैं|” [
“तुम्हारी इच्छा जरूर पूर्ण होगी, जैसा मैं कहता हूं, तुम वैसा ही करना| जब भी लोग तुम्हें पंडितजी कहें तो तुम तुम्हें पत्थर मारना, धमकाना और मारने दौड़ना|” बीरबल ने उपाय सुझाया और इसके बाद वहीं पास में खेल रहे कुछ बच्चों के पास गया और बोला – “बच्चो, उस धोती वाले आदमी को ‘पंडितजी’ कहो… इससे वह चिढ़ता है|”
बच्चों ने जाकर उस ब्राह्मण को पंडितजी कहा तो वह ब्राह्मण उन्हें मारने दौड़ा| देखा-देखी और लोग भी उसे पंडितजी कहकर चिढ़ाने लगे| वह उन्हें भी मारता या धमकाता| धीरे-धीरे यह बात सभी तक फैल गई कि वह ब्राह्मण पंडितजी कहने से चिढ़ता है, अत: सभी उसे पंडितजी कहने लगे|
कुछ दिन बाद बीरबल पुन: उस ब्राह्मण से मिला और कहा – “पंडितजी, अब आप लोगों को मारे या धमकाएं नहीं क्योंकि अब लोग आपको पंडितजी ही कहेंगे|”
ब्राह्मण ने सचमुच लोगों को मारना, धमकाना या चिढ़ना छोड़ दिया किंतु लोगों ने उसे पंडितजी कहना नहीं छोड़ा|
इस तरह उस ब्राह्मण की पंडितजी कहलाने की इच्छा पूरी हो गई|