बीरबल ने कहानी सुनाई (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर को किस्से-कहानियां सुनने का भी शौक था और वे अक्सर किसी-न-किसी दरबारी को कहानी सुनाने को कह देते थे| एक दिन दरबारियों ने बादशाह अकबर के कान भरे कि बीरबल को भी कई कहानियां आती हैं|
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बीरबल के पीछे पड़ गए बादशाह अकबर कि वह उन्हें कहानी सुनाए किंतु बीरबल उन्हें टालता रहता, क्योंकि उसे कहानियां आती ही नहीं थीं|
आखिर बीरबल भी उन्हें कब तक टालता… बादशाह की जिद के कारण उसे कहानी सुनानी ही पड़ी|
बीरबल कहानी सुनाने लगा – “एक किसान था| उसने खूब मेहनत करके फसल उगाई| फसल जब तैयार हो गई तो उसने फसल काट ली|
किसान की समस्या यह थी कि फसल को चिड़ियों से कैसे बचाए, क्योंकि चिड़ियां फसल का एक बहुत बड़ा हिस्सा चुग जाती थीं|
किसान ने फसल की छंटाई करके सारे अनाज को एक बड़ी कोठरी में बंद कर दिया| उस कोठरी में चिड़ियों के अंदर जाने का भी कोई रास्ता नहीं था, अत: वह अनाज चिड़ियों से भी महफूज था|
किंतु हुजूर, जब भगवान ने पेट बनाया है तो उसके लिए भोजन का इन्तजाम भी कर देता है|
अनाज की कोठरी के द्वार पर चूहों ने बिल बनाकर आने-जाने का रास्ता बना दिया था| उसमें से चूहों के अलावा चिड़ियां भी आ-जा सकती थीं|
चिड़ियों की जब उस बिल पर नजर पड़ी तो वे चहचहा उठीं| सभी चिड़ियों ने मिलकर तय किया कि एक चिड़िया अन्दर जाएगी, जब वह भरपेट अनाज खाकर बाहर आएगी, तब दूसरी चिड़िया अंदर जाएगी|
इसी तरह एक चिड़िया अंदर गई… अनाज खाया और बाहर आ गईं|
दूसरी चिड़िया अंदर गई… अनाज खाया और बाहर आ गई|
तीसरी चिड़िया अंदर गई…अनाज खाया और बाहर आ गई|
चौथी चिड़िया अंदर गई…|”
“आगे क्या हुआ?” बादशाह अकबर ने झुंझलाकर कहा|
“हुजूर वही तो बता रहा हूं, पांचवीं चिड़िया अंदर गई और…|”
“अभी कितनी चिड़ियां और अंदर जाएंगी?” बादशाह ने पूछा|
“हुजूर, चिड़ियों की संख्या तो लाखों में है| जब तक सभी अनाज खा नहीं लेती, कहानी आगे कैसे बढ़ेगी|” बीरबल ने जवाब दिया|
“बस-बस, मुझे नहीं सुननी तुम्हारी कहानी|” बादशाह अकबर ने कहा – “मैं समझ गया कि तुम्हें कहानी नहीं आती है, तुम जा सकते हो|”
“जी हुजूर|”
बीरबल ने जवाब दिया और चला गया| इसके बाद बादशाह ने कभी भी बीरबल को कहानी सुनाने के लिए नहीं कहा|