बीरबल की तीरदांजी (बादशाह अकबर और बीरबल)
अकबर ने बीरबल पर व्यंग्य करते हुए कहा – “बीरबल, तुम सिर्फ बातों के तीरंदाज हो, अगर तीन-कमान पकड़कर तीरदांजी करनी पड़े तो हाथ-पांव फूल जाएंगे|”
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यह बात सुनकर सभी दरबारी खुश हो गए, उन्हें लगा अब बीरबल कोई जवाब नहीं दे पाएगा| किन्तु बीरबल कहां मानने वाला था, उसने कहा – “हुजूर, मैं बातों के साथ-साथ बहुत अच्छा तीरंदाजी भी हूं|”
बादशाह तो जवाब सुनकर चुप हो गए किंतु दरबारियों से रहा न गया| उन्हें लगा कि बीरबल को नीचा दिखाई का यही मौका है, इसलिए वे बादशाह अकबर पर जोर डालने लगे कि बीरबल की तीरदांजी की परीक्षा ली जाए| अकबर ने भी सोचा कि बीरबल ने जब कहा है तो उसकी तीरंदाजी भी देख ही ली जाए|
बादशाह अकबर तथा अन्य दरबारियों के साथ बीरबल मैदान में पहुंचा| उसके हाथ में तीर-कमान पकड़ा दिया गया और कुछ दूरी पर एक लक्ष्य रखकर निशाना साधने को कहा गया|
बीरबल ने पहला तीर चलाया…निशाना चूक गया| तुरन्त ही बीरबल बोला-“यह थी मुल्लाजी की तीरदांजी|” दूसरा तीर भी चूक गया| इस पर उसने इसे राजा टोडरमल की तीरदांजी बताया|
संयोग से तीसरा तीर सीधा अपने लक्ष्य पर जाकर लगा| तब बीरबल ने बड़े गर्व से कहा – “और इसे कहते हैं बीरबल की तीरन्दाजी|”
अकबर हंस पड़े, वह समझ गए कि बीरबल ने यहां भी बातों की तीरन्दाजी की है|