बीरबल की खिचड़ी (बादशाह अकबर और बीरबल)
अकबर-बीरबल की नोंक-झोंक में यह एक प्रसिद्ध कथा है और अब तो ‘बीरबल की खिचड़ी’ को मुहावरे के तौर पर भी प्रयोग किया जाता है, जिसका सीधा-सा-अर्थ यह है कि किसी आसान काम को बहुत मुश्किल बताना या फिर किसी छोटे से काम को करने में बहुत अधिक समय लगा देना|
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खैर, इससे संबंधित कथा इस प्रकार है…
सर्दियों का मौसम था| अकबर और बीरबल यमुना किनारे टहल रहे थे| अचानक अकबर ने पूछा – “इस कड़ाके की ठंड में कोई सारी रात नदी में खड़ा रहकर बिता सकता है?”
“हुजूर, कोई-न-कोई तो जरूर ही मिल जाएगा ऐसा|”
“यह बात तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो?”
“हुजूर, पैसे में बहुत ताकत होती है, कोई भी गरीब पैसों के लालच में यह काम कर लेगा|”
बीरबल की बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से अकबर ने दरबार में घोषणा कर दी कि जो भी यमुना नदी में रात भर खड़ा रहेगा उसे पांच सौ अशर्फियां इनाम में दी जाएंगी|
बीरबल समझ गया कि अकबर ने यह घोषणा क्यों की है| वह धोबियों की बस्ती में गया और एक धोबी को इस काम के लिए तैयार कर लिया|
धोबी दरबार में अकबर के सामने उपस्थित होकर बोला – “आलमपनाह, मैं आपकी शर्त स्वीकार करता हूं|”
अकबर ने सारी व्यवस्था करा दी| रात को धोबी को नदी किनारे लाया गया| धोबी नदी में उतर गया| अकबर ने वहां दो पहरेदार खड़े कर दिए और लौट गया|
अगले दिन धोबी दरबार में पेश हुआ और अपने हक के इनाम की मांग करने लगा| अकबर ने दोनों पहरेदारों से पूछा| उन्होंने भी धोबी के रात भर नदी में खड़ा रहने की पुष्टि कर दी|
अकबर ने धोबी की प्रशंसा की और पूछा – “इतनी ठंड में तुम रात भर नदी में खड़े रहे, तुम्हें ठंड नहीं लगी?”
“हुजूर, मैं रात भर राजमहल के बुर्ज पर जलती हुई लालटेन को देखता रहा|”
“ओह! इसका मतलब तुम लालटेन की गर्मी पाकर ही ऐसा कर सके, तब तो तुम इस इनाम के हकदार नहीं रह जाते, तुम जा सकते हो|”
बेचारा धोबी अकबर के सामने क्या बोलता… चुपचाप दरबार से चला गया| दरबार में बीरबल भी बैठा था, यह बात उसे बहुत ही बुरी लगी| उसने तय किया वह धोबी को उसका हक दिलाकर रहेगा|
अगले दिन जब बीरबल दरबार में न आया तो अकबर ने एक सिपाही भेजकर उसे बुलवाया| बीरबल ने उसे यह कहकर वापस भेज दिया कि वह खिचड़ी पका रहा है, जब पक जाएगी तो खाकर ही दरबार में आएगा| सिपाही ने अकबर को बीरबल का संदेश सुना दिया| जब काफी देर तक बीरबल न आया तो अकबर ने पुन: अपने आदमी भेजे, इस बार भी बीरबल ने वही जवाब भिजवाया|
कई बार आदमी भेजने के बाद भी जब एक ही जवाब आता रहा तो अकबर ने स्वयं बीरबल के पास जाने की ठानी|
जब अकबर वहां पहुंचे तो देखा कि दस फीट ऊंचे तीन बांसों पर ऊपर एक हांडी लटकी हुई है और नीचे आग जल रही है|
“यह क्या तमाशा कर रहे हो बीरबल?”
“जहांपनाह, खिचड़ी पका रहा हूं|”
“यह कौन-सा तरीका है खिचड़ी पकाने का, दाल-चावल की हांडी तो तुमने दस फीट ऊपर लटका रखी है, आग की गर्मी कैसे पहुंचेगी उस हांडी तक?”
बीरबल तो बस मौके के इंतजार में था, उसने तुरन्त जवाब दिया – “क्यों नहीं पहुंच सकती हुजूर, जब महल के बुर्ज पर जलती लालटेन की गर्मी नदी में खड़े एक आदमी तक पहुंच सकती है तो यह हांडी तो आग से मात्र दस फीट ही दूर है|”
बीरबल की बात का आशय समझ गए अकबर| उन्होंने धोबी को दरबार में बुलवाया और उसे इनाम दिया|