भूत कुछ नहीं
किसी बस्ती में एक बालक रहता था| वह बड़ा निडर था| घूमते-घूमते वह अक्सर बस्ती के बाहर नदी के किनारे चला जाता था और थोड़ी देर वहां रुककर लौट आता था| उसके बाबा उसे बहुत प्यार करते थे| उन्हें लगा कि किसी दिन वह नदी में गिर न जाए! इसलिए एक दिन उन्होंने अपने बेटे से कहा – “बेटे, तुम अकेले नदी के किनारे मत जाया करो|”
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बालक ने पूछा – “क्यों?”
बाबा ने कहा – “वहां भूत रहता है|”
भूत की बात सुनकर बालक के मन में इतना डर बैठ गया कि उसके लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया|
जरा-जरा-सी बात में भूत उसके सामने आ खड़ा होता!
बाबा यह देखकर बड़े हैरान हुए| उन्होंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि बालक भूत की बात से इतना डर जाएगा! तब उन्होंने एक दिन बालक के हाथ में एक धागा बांध दिया और कहा – “अब तुम्हें भूत से डरने की कोई जरूरत नहीं है| यह देखो, भगवान तुम्हारे साथ रहेंगे|”
बालक खुश हो गया| वह फिर से बाहर घूमने लगा| एक दिन संयोग से उसके हाथ का धागा टूटकर कहीं गिर गया|
बालक घबराया हुआ बाबा के पास आया और खाली कलाई बाबा को दिखाकर बोला – “बाबा, भगवान चले गए! मैं अब क्या करूं?”
तब बाबा ने उसको समझाकर कहा – “बेटे, नदी के किनारे कोई भूत-वूत कुछ नहीं था और न धागे में भगवान थे| ये तो हमारे बनाए हुए थे| आदमी को डरना नहीं चाहिए| जिसका दिल मजबूत होता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता|”
बालक को अब असली बात समझ में आ गई और वह आनंद से रहने लगा|