भगवान को सभी प्यारे (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर ने दरबार में बीरबल से कहा – “मैंने पढ़ा था कि एक बार श्रीकृष्ण हाथी की पुकार पर उसे बचाने पैदल ही दौड़ पड़े थे? ऐसा क्यों… वे नौकर-चाकर भी साथ ले सकते जा थे, रथ पर भी जा सकते थे|”
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“जहांपनाह आपने ठीक कहा… श्रीकृष्ण रथ पर जा सकते थे किंतु यह भी सही है कि अपने भक्त की पुकार पर उनसे रहा न गया और वे नंगे पैर ही दौड़ पड़े| वास्तव में देव अपने सभी भक्तों से प्यार करते हैं और उन्हें बचाने दौड़ पड़ते हैं… हुजूर, यह बात देवों पर ही नहीं सभी पर लागू होती है| जो जिसे प्यार करता है उसे बचाने के लिए पानी में भी कूद सकता है, और यह बात मैं सिद्ध भी कर दूंगा|”
“ठीक है हम प्रमाण का इंतजार करेंगे|” बादशाह ने कहा|
अगले दिन बीरबल ने शहजादे की शक्ल का एक पुतला बनवाया और उस सेवक को पकड़ा जो अक्सर शहजादे को सैर करवाता था और उससे कहा – “आज शाम को तुम शहजादे के स्थान पर इस पुतले को ले जाना, और जब बादशाह के सामने से गुजरो तो लड़खड़ाकर गिर पड़ना| ध्यान रहे कि यह पुतला हर हाल में पास के तालाब में ही गिरना चाहिए, इस कार्य के बदले तुम्हें उचित पारिश्रमिक मिल जाएगा|”
बीरबल के कथनानुसार सेवक ने वैसा ही किया| शाम को शहजादे का सैर करने का समय हुआ तो उसने शहजादे की जगह पुतले को गोद में उठा लिया|
जब वह बादशाह के सामने पहुंचा तो उसने गिरने का नाटक करते हुए पुतले को तालाब में गिरा दिया|
बादशाह अकबर की जब नजर पड़ी तो वे तुरन्त उठे और दौड़कर तालाब में कूद पड़े किंतु जब उन्हें मालूम हुआ कि वह शहजादा नहीं उसका पुतला है तो वे सेवक से इसका कारण पूछने लगे| तभी वहां बीरबल उपस्थित हो गया और बोला – “हुजूर, देखा आपने, यह आपका शहजादे के प्रति प्यार ही है जो आप उसे स्वयं ही नंगे पैर बचाने दौड़ पड़े, आप चाहते तो सेवकों को आवाज लगा सकते थे|”
बादशाह अकबर समझ गए कि बीरबल ने अपनी बात सिद्ध कर दी है|