बादशाह का तोता (बादशाह अकबर और बीरबल)
एक व्यक्ति दरबार में तोता बेचने आया| वह तोता बहुत ही अच्छी नस्ल का था और बहुत ही अच्छा बोलता भी था| अकबर को तोता पसंद आ गया और उन्होंने उसे खरीद लिया|
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बादशाह अकबर ने उस तोते की सेवा के लिए एक सेवक नियुक्त कर दिया| उस सेवक का कार्य केवल उस तोते की देखरेख करना था| बादशाह ने उसे सख्त हिदायत दे रखी थी कि यदि कोई भी कोताही बरती गई तो उसका सिर कलम कर दिया जाएगा|
कुछ दिन तक तो सबकुछ ठीक-ठाक रहा किन्तु उसके पश्चात एक दिन अचानक ही तोता मर गया| अब सेवक की जान सांसत में आ गई, वह समझ नहीं पा रहा था कि तोते के मरने की सूचना किस प्रकार बादशाह को दे| उसे जब कोई उपाय न सूझा तो उसने बीरबल से सलाह ली|
बीरबल ने सेवक को सांत्वना दी और उसे निश्चिंत कर वापस भेज दिया| बादशाह को इसकी सूचना देने की जिम्मेदारी उसने अपने ऊपर ले ली|
इसके बाद बादशाह अकबर के पास गया बीरबल और बोला – “हुजूर, आपका तोता…|”
इतना सुनते ही बादशाह अकबर उतावले होकर बोले-“क्या हुआ तोते को, मर गया क्या?”
“नहीं हुजूर, आपके तोते ने समाधि लगा ली है….वह न खा-पी रहा है और न हिल रहा है, बस केवल आंखें बंद करके समाधि में लीन है|”
बादशाह अकबर तुरन्त तोते को देखने गए| वहां जाकर देखा कि तोता मर चुका था| इस पर वह बीरबल से बोले -“इतना घुमा-फिरा कर क्यों कहा, सीधा कह देते कि तोता मर गया है|”
“हुजूर, तोते के मारने का समाचार देने पर आप मृत्युदण्ड दे सकते थे| तभी इस तरह कहना पड़ा|”
अकबर को अपनी ही कही बात याद आ गई जो उन्होंने तोते के संदर्भ में सेवक से कही थी| वह समझ गए कि बीरबल ने इस तरह सूचना देकर तोते के सेवक की जान बचा ली है|