Homeशिक्षाप्रद कथाएँऐसी चतुराई किस काम की

ऐसी चतुराई किस काम की

नमक के एक व्यापारी के पास एक गधा था| वह नित्य ही प्रातःकाल उस पर नमक की बोरियाँ लादकर निकटवर्ती कस्बों में बेचने निकल जाया करता था| वहाँ तक जाने के लिए उसे कई छोटी-मोटी नदियाँ और नाले पार करने पड़ते थे|

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एक दिन नदी पार करते समय गधा अचानक पुल से फिसलकर नदी में जा गिरा| फलतः उसकी पीठ पर लदा सारा नमक पानी में घुल गया| व्यवसायी ने किसी तरह गधे को बाहर निकाला और देखा कि कहीं उसे चोट तो नही लगी| गधा तो भला-चंगा था| लेकिन नमक पानी में घुल जाने की वजह से गधे का बोझ काफ़ी हल्का हो गया था, इससे वह बहुत खुश हुआ|

नमक का व्यवसायी गधे को लेकर घर लौट चला, क्योंकि नमक तो पानी में घुल चुका था| वह आगे जाकर करता भी क्या!

उस दिन गधे ने खूब आराम किया| उसने सोचा, अब तो रोज़ ही ऐसा किया करूँगा|

दूसरे दिन वह व्यवसायी पुनः गधे पर नमक की बोरियाँ लादकर बेचने निकला| उस दिन भी गधा जानबूझकर नदी पार करते समय पानी में गिर पड़ा| इस तरह फिर उसका बोझ हल्का हो गया| व्यवसायी उस दिन भी गधे को लेकर घर वापस आ गाया|

व्यवसायी ने स्पष्ट देख लिया था कि गधा जानबूझकर पानी में गिरा था| उसे गधे पर बहुत क्रोध आया| इधर गधा अपनी कामयाबी पर बहुत खुश था| दो-एक दिन और उसने ऐसा ही किया|

अब व्यवसायी ने उसे सबक सिखाने की सोची|

एक दिन व्यवसायी ने गधे की पीठ पर नमक के बजाय रुई के गट्ठर लाद दिए| गधा बहुत खुश था| उसने सोचा कि आज तो बोझ वैसे ही बहुत कम है| यदि मैं पानी में गिरने का नाटक करूँगा तो बोझ और भी हल्का हो जाएगा| ऐसा सोचकर वह खुशी-खुशी चल दिया|

नदी आते ही वह पानी में गिर गया| लेकिन इस बार व्यवसायी ने उसे पानी से बाहर निकाला ही नही|

परिणाम यह हुआ कि रुई के गट्ठर पानी में भीगकर काफ़ी भारी हो गए| गधे को पानी से बाहर निकालने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी| बोझ के कारण उससे चला भी नही जा रहा था| व्यवसायी तो पहले ही उससे भुना बैठा था क्योंकि उसने उसका काफ़ी नमक पानी में बहा दिया था| जब गधा चल नही पाया तो उसने डंडे से उसकी जमकर पिटाई की|

उस दिन के बाद से गधे ने जानबूझकर पानी में गिरने की आदत छोड़ दी|


कथा-सार

चतुराई तभी तक चतुराई रहती है, जब तक दूसरे उसे भाँप न सके| इसलिए चतुर बने तो साथ ही सयाना बनने की योग्यता भी रखे| गधा तो फिर गधा था- नही जानता था कि काठ की हांडी बार-बार नही चढ़ती| जिस दिन उसके मालिक को उसकी चतुराई का पता चला, उसी दिन उसका खेल खत्म हो गया|

अकबर के