जो करो सोचकर करो – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक विषैला सांप नदी के किनारे लेटा धूप का आनन्द ले रहा था कि तभी न जाने कहां से एक काला कौआ उसके ऊपर झपटा और अपने पंजों में दबाकर आकाश में उड़ गया| सांप बुरी तरह ऐंठ कर खुद को कौए के पंजों से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगा, मगर लाख प्रयास करने पर भी सफल नहीं हुआ| यह देखकर सांप ने गुस्से से फुंककारते हुए कौए के शरीर में अपने जहरीले दांत गाड़ दिए|
कुछ ही क्षणों में जहर का प्रभाव दिखने लगा| काला कौआ दर्द से फड़फड़ाता हुआ आकाश से धरती पर आ गिरा| सांप मरते हुए कौए के पंजों से निकल कर भाग गया|
कौआ अब मौत के दरवाजे पर खड़ा था| सांप का जहर उसके शरीर में हर ओर फैल चुका था| मरने से कुछ क्षण पहले उसने सोचा – ‘आह! क्या मुझे पहले नहीं सोचना चाहिए था? यह मेरी भूल थी कि मैंने बिना सोचे-विचारे एक जहरीले सांप को उठा लिया| वही सांप आखिर मेरी मौत का कारण बना|
शिक्षा: समझदार सोचकर करते हैं, मुर्ख करके सोचते हैं|