गुड फ्राइडे : इसा मसीह के बलिदान की वर्षगाँठ
भारत एक त्योहारों का देश है| यहां भिन्न भिन्न जाती , वर्णों , समुदाए और भाषाओँ के लोग आपस मे सह अस्तित्व की भावना से मिल जुल कर रहते हैं| यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धरम के लोग पर्वो और त्योहारों को धूम धाम से मनाते हैं| फिर भी इसाई धर्म के त्योहार बाकी मतावलंबियों के लिए बहुत हद तक अनजाने ही बने रहते हैं। हालांकि बड़ा दिन यानी २५ दिसम्बर सभी धर्म के लोग मनाते हैं| लेकिन गुड फ्राइडे अभी भी बहुत से लोगों के लिए एक रहस्य है।
गुड फ्राइडे वास्तव मे इसा मसीह के बलिदान की वर्षगाँठ को कहा जाता है| गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे याँ ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं| यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़नेवाले शुक्रवार को आता है|
इसाई धर्म के अनुसार गुड फ्राइडे , यानी आज ही के दिन प्रभु ईसा मसीह अपने अनुयायियों के भले के लिए, मानव कल्याण के लिए, सूली पर चढ़ गए थे| इस से बढ़ा बलिदान ,त्याग और क्या हो सकता है की जब वक़्त के मसीहा , वक़्त के पैगम्बर को अपने शरीर को दुनियावी शक्तियों के आगे बलिदान देना पढ़ा| जब इसा मसीह जी को सूली पर चढ़ाया जा रहा था तो उनके मुख से जो शब्द निकले , वो सुन कर हर व्यक्ति श्रद्धा से अपना सिर झुका देता है| उन्होने कहा – की हे प्रभु, ये नहीं जानते की ये क्या कर रहे हैं, इन्हे श्रमा कर देना| वास्तव मे कितना विशाल ह्रदय था उनका|
गुड फ्रइडे इसाईयों के लिए प्रेम और क्षमा का दिन होता है। ईसा अपने अनुयायियों को अपने प्रति अपराध करने वालों को भी माफ करने का संदेश दे गए थे। इसाई उनकी याद में इस दिन को मनाते हैं। गुड फ्राइडे की शुरुआत 40 दिन पहले ही हो जाती है। इस साल भारत में 9 मार्च से पवित्र 40 दिनों की शरुआत हुई थी। गुड फ्राइडे इन 40 दिनों की समाप्ति का दिन होता है। इसाई पूरे 40 दिन तक संयम और व्रत का निर्वाहन कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं। उल्लेखनीय है कि इसाई धर्म भी अपने मतावलंबियों को प्रेम और क्षमा के अलावा अपनी आत्मा के शुद्धीकरण का संदेश देता है। मान्यता है कि यीशु शुक्रवार से शनिवार तक कब्र में रहने के बाद पुनर्जीवित हो गए थे।