एकता कैसे – शिक्षाप्रद कथा
बहुत दिनों पहले की बात है कि पक्षियों ने सभा बुलाकर अपना राजा चुनने का निश्चय किया| जंगल में एक खुले मैदान में शिकारी पक्षियों को छोड़कर अन्य सभी पक्षी सभा के लिए जमा हुए| सारस ने पहल की और सबसे पहले सभा को संबोधित करते हुए बोला – “मित्रो, यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमें इस धरती पर आए हुए लाखों वर्ष हो चुके हैं, परंतु आज तक हमारा एक भी राजा नहीं हुआ, जो हम पर शासन कर सके और हमें शिकारी पक्षियों, बहेलियों तथा शिकारियों से बचा सके| यही कारण है कि हममें से कुछ लुप्त हो चुके हैं तथा कुछ लुप्त होने के कगार पर हैं| हमारी कुछ और प्रजातियां विलुप्त न हों, इसी बात को ध्यान में रखकर हम यहां एकत्र हुए हैं, ताकि अपना एक ऐसा राजा चुन सकें, जो भविष्य में हमारी सुरक्षा कर सके|”
और फिर, सर्व सम्पत्ति से मोर को राजा घोषित कर दिया गया और तय हुआ कि तीस दिन बाद फिर सभा होगी|
समय बीतता रहा| अगले तीस दिनों तक किसी भी प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई| सभी पक्षी बहुत प्रसन्न थे| इकत्तीसवें दिन सभी पक्षी, जैसा पहले से तय किया गया, नियत समय पर नई शासन प्रणाली पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए|
जब बैठक आरम्भ हुई तो एक गौरेया उदास चेहरा लिए सामने उपस्थित हुई और कहने लगी – “महाराज, आपके शासन में यदि हम सब असुरक्षित रहें तो फिर आपका शासन किस काम का है| यह मौटा कौआ, जो आपके सामने बैठा है, हमारे बच्चे खाता रहा है| हम कमजोर होने के कारण अपनी सुरक्षा भी नहीं कर सकते|” यह सुनकर सभी पक्षी बहुत क्रोधित हुए| उनमें आपस में गरमागरम बहस छिड़ गई और सभा में हड़बड़ी फैल गई|
ऊपर आकाश में मंडराते कुछ उकाबों ने नीचे खुले मैदान में हजारों पक्षियों को आपस में लड़ते देखा तो उन्हें उन पर आक्रमण करने और उन्हें भोजन का ग्रास बनाने का सुनहरा अवसर मिल गया| बस फिर क्या था – उकाबों का एक झुंड पक्षियों पर टूट पड़ा और बहुत सारे पक्षी अपने पंजों में दबाकर ऊंचे आकाश में उड़ गया| उन उकाबों में जो सबसे विशाल और बलिष्ठ था, राजा मोर को उठा ले गया|
इस प्रकार पक्षियों के इस धरती पर करोड़ों वर्षों के विचरण के इतिहास में केवल तीस दिन ही ऐसे थे, जब उनका अपना कोई राजा था|
क्या यही कारण है कि आज भी पक्षियों की कुछ प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं!
शिक्षा: एकता के लिए स्वार्थ को त्याग दें|