धोबी का गधा – शिक्षाप्रद कथा
एक गांव में एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था| कुत्ता घर की रखवाली करता और गधे का काम धोबी के कपड़ों का गट्ठर अपनी पीठ पर लादकर लाना ले जाना था| धोबी कुत्ते को बेहद प्यार करता था और कुत्ता भी उसे देखकर पूंछ हिला देता था| वह अपने अगले पैर उठाकर धोबी के सीने पर रख देता| जवाब में धोबी भी प्रेम से उसको सहला देता| यह देखकर गधे को ईर्ष्या होती थी कि इतना कड़ा परिश्रम करने के बाद भी धोबी मुझे वैसा प्यार नहीं करता जैसा कुत्ते को करता है| फिर एक दिन गधे ने धोबी को खुश करने के लिए ठीक वैसा ही करने की ठानी जैसे कुत्ता करता था| अगले दिन जब गधे ने धोबी को अपनी ओर आते देखा तो वह उसकी तरफ दौड़ा| उसने पूंछ को मोड़कर हिलाने का प्रयास भी किया और अगले पैर उठाकर धोबी के सीने पर रख दिए| गधे का यह व्यवहार देखकर धोबी ने सोचा शायद इसे पागलपन का दौरा पड़ा है| उसने आव देख न बात, पास पड़ी लाठी उठाई और गधे की धुनाई शुरू कर दी| गधे बेचारे की समझ ही न आया कि ऐसा क्यों हुआ|
शिक्षा: ईर्ष्या का फल हमेशा हानिकारक ही होता है|