बिल्ली से छुटकारा – शिक्षाप्रद कथा
एक पंसारी की दुकान में बहुत से चूहे रहते थे| वहां उनके खाने का भरपूर सामान था| वे रोज तरह-तरह का माल उड़ाते और मस्ती में अपने दिन काटते|
इन शरारती चूहों के कारण पंसारी की नाक में दम था|
उसे इनसे छुटकारा पाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था| जिस कारण उसको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था|
एक दिन उन चूहों से छुटकारा पाने के लिए दुकानदार एक बड़ी और मोटी-सी बिल्ली ले आया|
बिल्ली रोज किसी न किसी चूहे को पकड़ती और उसे मारकर खा जाती|
धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी|
पंसारी ने यह देखकर थोड़ी राहत महसूस की|
बिल्ली के आने से चूहों को बहुत चिंता हुई| उन्होंने बिल्ली-से छुटकारा पाने का उपाय ढूंढनें के लिया सभा की| पर छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए, यह उस सभा में किसी को नहीं सूझता था|
तभी एक होशियार चूहे ने कहा, “बिल्ली बहुत चालाक है, वह दबे पांव बड़ी फुर्ती से आती है| इसलिए हमें उसके आने का पता ही नहीं चलता| हमें किसी तरह उसके गले में एक घंटी बांध देनी चाहिए| इस तरह हमें उसके आने का पता चल जाया करेगा|”
दूसरे चूहे ने इसका समर्थन किया, वाह! क्या बात कही है! जब बिल्ली चलेगी, तो उसके गले की घंटी बजेगी| हम घंटी की आवाज सुनकर सावधान हो जाएंगे|”
एक अन्य चूहा बोला – “तब तो हम उसके हाथ ही नहीं आएंगे और जब भूखी मरने लगेगी तो अपने आप वापस चली जाएगी| हम इतने फासले पर रहेंगे कि वह हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगी|”
सभी चूहों ने इस सुझाव का समर्थन किया| सारे चूहे खुशी से नाचने लगे| लेकिन एक बूढ़ा चूहा खामोशी से बैठा इन सबकी कार्रवाई देख रहा था|
तभी उस बूढ़े ने उन्हें डांटा, “खुशियां मनाना बंद करो| मुझे सिर्फ इतना बताओ कि बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन?”
यह सुनते ही सारे चूहे चुप हो गए| वे एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे| उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नहीं सूझा|