भगत बिल्ली – शिक्षाप्रद कथा
किसी कमरे में एक कोने में बने बिल के सामने दो चूहे बैठे थे| अचानक उनकी नजर कमरे के दूसरे कोने पर गई|
वहां एक बिल्ली आंखें बंद किए बैठी थी| उसकी दुम गोल होकर उसके पंजों के गिर्द लिपटी हुई थी| उसकी मूंछें भी नीचे को लटकी हुई थीं|
एक चूहा उसकी बगुला भक्ति देखकर बहुत प्रभावित हुआ|
“यह बिल्ली तो बहुत सीधी-सीधी और हानि रहित लगती है! काश, सभी बिल्लियां ऐसी ही होतीं! मैं तो चला उससे दोस्ती करने|” एक चूहा बोला|
इस बात को सुनकर दूसरे चूहे ने उसे डांटते हुए कहा – “क्या तुम सचमुच मुर्ख हो! समझते क्यों नहीं कि बिल्ली हमारी प्राकृतिक शत्रु है| अगर उसके पंजों की पहुंच में तुम आ गए तो वह तुम्हें बिल्कुल नहीं छोड़ेगी|”
मगर दूसरे चूहे ने अपने मित्र की एक भी न सुनी और बिल्ली के पास उससे मित्रता करने पहुंच गया| मगर अभी वह ‘हल्लो’ कहने ही वाला था कि बिल्ली उस पर झपट पड़ी और उसे मार कर खा गई|
शिक्षा: धूर्त लोग भली सूरत बनाकर ही दूसरों को ठगते हैं|