अमात्य की कहानी (अलिफ लैला) – शिक्षाप्रद कथा
प्राचीन काल में एक राजा था| उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था| राजा उसे बहुत चाहता था| वह राजकुमार की किसी भी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था| एक दिन राजकुमार की शिकार पर जाने की इच्छा हुई| राजा ने अपने आमात्य को बुलाकर कहा कि राजकुमार के साथ चले जाओ| तुम्हें सब रास्ते मालूम हैं| राजकुमार को रास्ते की जानकारी नहीं है, अत: एक क्षण के लिए भी तुम राजकुमार का साथ न छोड़ना|
राजकुमार, आमात्य और कई अन्य लोगों को लेकर आखेट के लिए वन में गया| कुछ देर में एक बारहसिंगा सामने से निकला| राजकुमार ने घोड़ा उसके पीछे लगा दिया| आमात्य ने सोचा कि राजकुमार का घोड़ा तेज है और शीघ्र ही उस बारहसिंगा को मार लिया जाएगा, इसलिए उसने कुछ ढील छोड़ दी, लेकिन बारहसिंगा दौड़ता ही रहा| राजकुमार ने कई कोस तक उसका पीछा किया, लेकिन उसे पा न सका| वह रास्ता भी भूल गया| उसने चाहा कि वापस आमात्य और अन्य शिकारी साथियों से जा मिले, लेकिन वह वन में भटक गया|
भटकते-भटकते उसने एक स्थान पर देखा कि एक अति सुंदर स्त्री विलाप कर रही है| राजकुमार ने अपने घोड़े को रोका और स्त्री से पूछा कि तू क्यों रो रही है? स्त्री ने बताया कि मैं एक देश की राजकुमारी हूं| मैं विशेष परिस्थितिवश अकेली अपने घोड़े पर सवार होकर इधर से जा रही थी कि मुझे नींद आ गई और मैं घोड़े से गिर पड़ी और मेरा घोड़ा भी जंगल में भाग गया| मुझे यह भी नहीं मालूम वह किधर को गया है?
राजकुमार को उस पर दया आ गई| उसने उसे आगे अपने घोड़े पर बिठा लिया और जिस ओर स्त्री ने अपने देश की राजधानी बताई थी, उधर चल दिया| कुछ समय पश्चात स्त्री ने कहा, “मैं घोड़े पर थक गई हूं, पैदल चलना चाहती हूं|” राजकुमार ने उसे उतार दिया और उसके साथ पैदल चलने लगा – लेकिन उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ, जब एक परकोटे के पास पहुंचकर उसने पुकारकर कहा, “बच्चो, प्रसन्न हो जाओ| मैं तुम्हारे लिए बड़ा मोटा-ताजा आदमी शिकार कर लाई हूं|”
जवाब में आवाज आई, “अम्मां, कहां है वह आदमी? हमें जल्दी से दे, हम बहुत भूखे हैं|”
राजकुमार ये सुनकर बड़ा भयभीत हुआ| वह समझ गया कि वह स्त्री नरभक्षी वनवासियों की जाति की है और उसे मारकर खा जाने के लिए यहां धोखे से लाई है| वह घोड़े पर बैठकर मुड़ने लगा|
स्त्री ने देखा कि शिकार हाथ से निकल रहा है तो वह पलटकर कहने लीग, “तुम परेशान क्यों हो, यह तो तुम्हारे साथ मजाक हो रहा था|
राजकुमार ने कहा, “खैर, तुम अपने घर आ गई हो और अब मैं जा रहा हूं|”
स्त्री बोली, “तुम कौन हो, कहां जाओगे?” राजकुमार ने अपना हाल बताया कि शिकार खेलते वह राह भूल गया है| स्त्री ने कहा, “फिर मेरे साथ क्यों नहीं आते? थोड़ी देर आराम कर लेना|”
राजकुमार की समझ में नहीं आया कि वह उस स्त्री पर विश्वास करे या न करे| उसने अंतत: दोनों हाथ उठाकर कहा, “हे खुदा, यदि तू सर्वशक्तिमान है, तो मुझे इस विपत्ति से बचा और मुझे मेरा मार्ग दिखा|”
उसके यह कहते ही नरभक्षिणी स्त्री घने जंगल में गायब हो गई और कुछ देर में राजकुमार को अपना मार्ग भी मिल गया| अपने महल में पहुंचकर उसने अपने पिता से संपूर्ण वृत्तांत कहा कि किस प्रकार वह आमात्य से बिछुड़ गया और एक नरभक्षिणी के पंजे में फंसने से बचा|
राजा इस बात से इतना क्रुद्ध हुआ कि उसने आमात्य का वध करवा डाला|