ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी श्याम
ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी श्याम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न साई का नाम
मन मन्दिर में वास है तेरा , तेरी छवि बसाई प्यासी आत्मा बनके जोगी तेरे शरण में आया
तेरे ही चरणों में पाया मैंने यह विश्राम ऐसी सुबह न आए न आए ऐसे श्याम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न तेरा नाम
तेरी खोज में न जाने कितने युग मेरे बीते अंत में काम क्रोध सब हरे वो बोले तुम जीते
मुक्त किया प्रभु तुने मुझको है शत शत प्रणाम ऐसी सुबह न आए न आए ऐसी श्याम
जिस दिन जुबान पे मेरी आए न तेरा नाम
सर्व्कला संपन तुम्ही ही हो औ मेरे परमेश्वर दर्शन देकर धन्य करो अब त्रिलोक्येश्वर
भवसागर से पार हो जायु लेकर तेरा नाम ऐसी सुबह न आए न आए ऐसे श्याम
जिस दिन जुबान पर मेरी आए न तेरा नाम……साई राम
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