हे माँ मुझको ऐसा घर दो जिसमें तुम्हारा मन्दिर हो
हे माँ मुझको ऐसा घर दो जिसमें तुम्हारा मन्दिर हो,
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
हे माँ मुझको ऐसा घर दो जिसमें तुम्हारा मन्दिर हो,
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
एक कमरा हो न्यारा, जिसमें आसन माँ का लगा रहे,
हर पल, हर क्षण भक्तों का वहाँ आना जाना लगा रहे ।
छोटे बड़े का ऐसे घर में माँ एक सम्मान ही आदर हो ।
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
इस घर का हर एक प्राणी माँ तेरी महिमा गाता है ।
तू रख ले जिस हाल में मैया हरदम खुशी मनाता है ।
कभी हिम्मत न हारे वो माँ चाहे समय भयंकर हो ।
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
इस घर से कोई भी सवाली खाली हाथ न जाये माँ
तब तक चैन न पाये बेटा, जब तक चैन न पाये माँ ।
मुझको दो वरदान दया का, तुम तो दया की सागर हो ।
ज्योतिजले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
ऐसी बुद्धि करना हे माँ, हम सब हरदम तेरी सेवा करे,
चाहें दूर ही रखना माँ, सेवक मेरे पास रहे ।
सेवक पास रहेंगे मैया, हम संकट से निडर रहें ।
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।
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