नाम जपन क्यों छोड़ दिया
नाम जपन क्यों छोड़ दिया
क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा
सत्य बचन क्यों छोड दिया
झूठे जग में दिल ललचा कर
असल वतन क्यों छोड दिया
कौड़ी को तो खूब सम्भाला
लाल रतन क्यों छोड दिया
जिन सुमिरन से अति सुख पावे
तिन सुमिरन क्यों छोड़ दिया
खालस इक भगवान भरोसे
तन मन धन क्यों ना छोड़ दिया
नाम जपन क्यों छोड़ दिया ॥
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