कौशल नरेश के आगे जब पानी-पानी हुए काशी नरेश
एक बार काशी नरेश ने कौशल राज्य पर आक्रमण करके वहां के राजा को पराजित कर दिया। कौशल नरेश अपने प्राण बचाने के लिए घने जंगल में जाकर छिप गए। उन्हें पकड़कर लाने वाले को काशी नरेश ने स्वर्ण मुद्राएं पुरस्कार में देने की घोषणा की।
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कुछ दिनों बाद जिस जंगल में कौशल नरेश छिपे हुए थे, उसके पास वाले गांव में बाढ़ आ गई। ग्रामीणों का सब कुछ नष्ट हो गया। उनके घर-बार, अनाज, सामान सभी पानी ने लील लिया। वे लोग भूखों मरने लगे। अपनी प्रजा की यह दयनीय दशा कौशल नरेश से सहन नहीं हुई। उन्होंने कुछ ग्रामीणों को अपने साथ लिया और पूरे गांव को सहायता दिलवाने के लिए काशी नरेश के दरबार में जा पहुंचे। काशी नरेश इस प्रकार एकाएक कौशल नरेश को अपने सामने पाकर चकित रह गए।
कारण पूछने पर कौशल नरेश ने विनम्रता से आग्रह किया- आपकी घोषणा के अनुसार एक हजार स्वर्ण मुद्राएं इन भूखे व बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों को दी जाएं और मुझे बंदी बना लिया जाए। काशी नरेश प्रजा प्रेमी व मानवीय संवेदना के प्रतीक कौशल नरेश की यह बात सुनकर पानी-पानी हो गए। उन्होंने तत्काल संकटग्रस्त ग्रामीणों को एक हजार स्वर्ण मुद्राएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं दीं और कौशल नरेश को ससम्मान राज्य लौटाते हुए कहा- आप जैसे प्रजा प्रेमी एवं सहृदय व्यक्ति ही राजकाज के सच्चे अधिकारी हो सकते हैं।