मरकर आदमी कहाँ गया?
एक साधारण ब्राह्मण थे| वे काशी पढ़कर आये| सिर पर पुस्तकें लदी हुई थीं| शहर से होकर निकले तो वर्षा आ गयी| पास में छाता था नहीं| अतः एक मकान के दरवाजे के पास जगह देखकर खड़े हो गये| उसके ऊपर एक वैश्या रहती थी| कुछ आदमी ‘रामनाम सत्य है’ कहते हुए एक मुर्दे को लेकर वहाँ से निकले|
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उस वैश्या ने आवाज देकर एक लड़की से कहा कि जा, पता लगाकर आ कि यह स्वर्ग में गया या नरक में गया? लड़की चली गयी| पण्डित जी ने सुना तो वहीं ठहर गये कि ऐसी कौन-सी विद्या है, जिससे मरने वाले का पता लग जाय कि वह कहाँ गया? थोड़ी देर में वह लड़की आयी और वैश्या से बोली कि यह तो नरक में गया| इतने में दूसरा मुर्दा आया तो वैश्या ने फिर लड़की को भेजा| लड़की ने आकर कहा कि यह तो स्वर्ग में गया| पण्डित जी ने विचार किया कि मैं इतने वर्ष काशी रहा, वहाँ कितनी पुस्तकें पढ़ीं, पर यह पता नहीं लगता कि मरने वाला कहाँ गया? यह विद्या तो मेरे को सिखनी चाहिये|
पण्डित जी मकान के ऊपर चले गये| वैश्या ने देखा तो पहचान लिया कि यह मेरा ग्राहक तो नहीं है | उसने पूछा कि यहाँ कैसे आये? पण्डित जी बोले-‘माताजी! मैं…’| वैश्या बोली-मेरे को माता जी मत कहो, मैं तो वैश्या हूँ| पण्डित जी बोले-हमारे लिये तो माँ, बहन या बेटी ही हो! वैश्या बोली-क्या बात है? पण्डित जी ने कहा-तुमने लड़की से कहा कि पता लगाकर आओ, मरने वाला कहाँ गया तो उसने आकर कहा कि एक नरक में गया, एक स्वर्ग में गया, यह क्या विद्या है? मैं जानना चाहता हूँ| वैश्या ने उस लड़की को बुलाया और कहा कि महाराज को बता, तूने कैसे परीक्षा की कि यह नरक में गया, यह स्वर्ग में गया| वह कहने लगी कि महाराज! वे मुर्दा लिये जा रहे थे तो मैंने उनसे पूछा कि यह कहाँ से आया है, किस मोहल्ले का है? फिर मैं पता लगाकर उस मोहल्ले में पहुँची तो लोगों को रोते देखकर पता लगा कि इस घर का आदमी मर गया| उनके पड़ोसियों के घर जाकर सुना तो लोग कह रहे थे कि वह आदमी मर गया तो हम निहाल हो गये! वह सबकी चुगली करता था, चोरी करा देता था, लड़ाई करा देता था, झूठी गवाही देकर फँसा देता था, बहुत दुःख देता था| मर गया तो बहुत अच्छा हुआ आफत मिटी! ऐसी बातें मैंने कई घरों में सुनीं तो आकर कहा कि वह नरकों में गया| दूसरा मुर्दा आया तो उसका भी पता लगाकर मैं उसके मोहल्ले में गयी| वहाँ लोग बातें कर रहे थे कि राम-राम, गजब हो गया! वह आदमी तो हमारे मोहल्ले का एक प्रकाश था| वह सन्त-महात्माओं को बुलाया करता था, सत्संग कराता था, कोई बीमार हो जाय तो रातों जगता था, किसी पर कोई आफत आती तो उसकी तन-मन-धन से सहायता करता था! वह चला गया तो हमारे मोहल्ले में अँधेरा हो गया! ऐसी बातें मैंने सुनीं तो आकर कहा कि वह स्वर्ग में गया|
पण्डित जी बोले-अरे, ये बातें तो हमारी पुस्तकों में भी लिखी हैं कि अच्छे काम करने वाले की सद्गति होती है और बुरे काम करने वाले की दुर्गति होती है, पर यह बात हमारी अक्ल में ही नहीं आयी!