श्री यमुना जी की आरती – Shri Yamuna Ji Ki Aarti
श्री भागवत पूरण के दशम स्कंद के उत्तरार्ध के ५८ मे अध्याय के १७ से २३ श्लोक तक यमुना जी ने जहा श्री कृष्ण प्राप्ति को तप किया वह जगह यमुना किनारे पर स्धित है जो कभी भी प्रकाशित और प्रचारित नही हुई वो जहाँ श्री यमुना जी ने तप किया वह जगह वर्तमान मे यमुना किनारे मथुरा विश्राम घाट से कुछ दूरी पर स्तिथ हैं| जो श्री यमुना तपोभूमि के नाम से स्थापित है| इसकी आरती इस प्रकार है|
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श्री यमुना जी की आरती इस प्रकार है:
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता,
नो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता |ॐ
पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा |ॐ
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे |ॐ
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही |ॐ
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो |ॐ
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी,
मन ‘बेचैन’ भय है तुम बिन वैतरणी |ॐ
श्री यमुना जी की आरती समाप्त
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