गधा और सिंह – शिक्षाप्रद कथा
एक सिंह और एक गधे में आपस में बहुत गहरी मित्रता थी| यद्यपि उनका स्वभाव भिन्न था, परंतु वे हमेशा साथ-साथ ही घूमते थे| गधा और सिंह जहां भी जाते, वहीं वन्य प्राणियों में भगदड़ मच जाती| दरअसल, यह होता तो शेर की वजह से था, मगर गधे को बड़ी भरी गलतफहमी हो गई थी कि सभी जीव-जन्तु उससे भी दहशत खाते हैं और वह भी एक बलशाली जीव हैं|
एक बार जब वे जंगल में साथ-साथ घूम रहे थे तो उन्होंने भेड़ियों का एक झुंड देखा| भेड़ियों को देखते ही गधे की मानसिक वीरता जाग उठी और वह सिंह की नकल करता हुआ मुंह खोल जोर-जोर से ‘ढींचू-ढींचू’ करता हुआ उनकी ओर ऐसे झपटा जैसे उन्हें खा जाएगा|
भेड़ियों में भगदड़ मच गई| सभी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे| जिसको जिधर मौका लगा उधर भाग निकला| उन्होंने पीछे मुड़ कर भी नहीं देखा|
यह सब देखकर गधा बहुत प्रसन्न हुआ| बहुत गर्व से चलता हुआ वह वापस शेर के पास आया|
उसको देखकर सिंह ने कहा – “क्यों मित्र, इतनी जोर-जोर से क्यों रेंक रहे थे? क्या बात थी?”
“अरे! मित्र, शायद तुमने मेरी वीरता नहीं देखी| भेड़ियों का झुंड मुझे देखते ही इधर-उधर भाग गया| वे समझे मैं उन्हें खा जाऊंगा| कितने डरपोक हैं|” गर्व से सीना फुलाकर गधे ने कहा|
उसकी बात सुनकर सिंह ठहाका मारकर हंसने लगा – “ओह! तो यह कारण है जो तुम इतने प्रसन्न हो| अरे, तुम मेरे मित्र हो इसमें कोई संदेह नहीं| फिर भी तुम्हें यह बात याद रखनी चाहिए कि तुम एक गधे हो, सिंह नहीं| भेड़िए तुम्हारे डर से नहीं, बल्कि इसलिए भाग गए क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था| एक दोस्ताना सलाह देता हूं – कभी अकेले हो तो यह काम मत करना, वरना वही भेड़िए तुम्हें टुकड़े-टुकड़े करके खा जाएंगे|”
शिक्षा: दूसरों के बल पर किसी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए|