किस्मत का करिश्मा – शिक्षाप्रद कथा
बहुत पुराने समय की बात है! मगध देश की राजधानी पाटलिपुत्र में एक बहुत ही धनवान सेठ धनीराम रहता था! धनीराम के दो बेटे थे!
बहुत पुराने समय की बात है! मगध देश की राजधानी पाटलिपुत्र में एक बहुत ही धनवान सेठ धनीराम रहता था! धनीराम के दो बेटे थे!
“एक-दो-तीन-चार…….।” जयंतीलाल पाँच-पाँच सौ के नोटों की गिनती कर रहा था। तीस की संख्या पर वह रुक गया।
राजा त्रिगुणसेन के राजमहल में बहुत से नौकर थे, उन में से दो नौकर उसे बहुत प्रिय थे – शीतलराम और झगड़ूराम। राजा के अपने व्यक्तिगत कक्ष की देख-रेख वही दोनों नौकर किया करते थे। झगड़ूराम का काम प्रतिदिन राजा के विशाल कक्ष के फर्श और दीवारों की सफाई का था, जबकि कक्ष में मौजूद पलंग, स्टूल, कुर्सियों और सजावट के सभी खूबसूरत सामानों की सफाई और उन्हें चमकाने का काम शीतल का था।
लालाराम एक कंजूस-मक्खीचूस सुनार था! हमेशा सोने चांदी के जेवरों में डण्डी जरूर मारता था!
एक बहुत ही कुरूप कुबड़ा मूर्तिकार था ! लोग कहते थे – वह बहुत बदसूरत है, कभी कोई लड़की न तो उससे शादी करेगी, ना ही प्यार करेगी ! मूर्तिकार को भी लड़कियों से बहुत चिढ़ थी ! वह लड़कियों से सदैव दूरी बनाये रखता था !