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एक बार का ज़िक्र है, बाबा जैमल सिंह जी महाराज अम्बाला शहर तशरीफ़ ले गये| वहाँ मोतीराम दर्ज़ी प्रेमी सत्संगी थे, उन्होंने बाबा जी महाराज से सत्संग के लिए अर्ज़ की|

एक दिन बसरा की महात्मा राबिया बसरी फूट-फूट कर रो रही थी, मानो उसका हृदय फट रहा हो| उसको दुःख से व्याकुल देखकर उसके पड़ोसी उसके चारों ओर इकट्ठे हो गये|

एक बार ख़ुदा के सच्चे प्रेमी बायज़ीद बुस्तामी को आकाशवाणी हुई और उसने गै़बी (दैवी) आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “तुझे जो माँगना है, माँग ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी|”

एक बार एक ज़िक्र है कि महान सूफ़ी दरवेश शम्स तब्रेज़ में परमात्मा के आगे सच्चे दिल से दुआ की, “हे कुल-मालिक! मुझे अपने ऐसे प्यारे का साथ दे, जिसके साथ मैं तेरे प्रेम की बातें कर सकूँ और जिसको तेरी जुदाई की असह्य पीड़ा तथा तेरे मिलाप के अकथनीय आनन्द की कथा सुना सकूँ|”