मच्छर और रामदित्ता
एक दिन जब बड़े महाराज जी बाबा जी महाराज के पास आये, तो वे मंडाली गांव के दो जाट सत्संगियों – मच्छर और रामदित्ता – से मिले| वे अच्छे प्रेमी थे|
एक दिन जब बड़े महाराज जी बाबा जी महाराज के पास आये, तो वे मंडाली गांव के दो जाट सत्संगियों – मच्छर और रामदित्ता – से मिले| वे अच्छे प्रेमी थे|
एक बार बाबा जैमल सिंह जी के पास कुछ पण्डित आये| शास्त्रों के कुछ अर्थ को लेकर उनकर आपस में विवाद था|
एक बार का ज़िक्र है, बाबा जैमल सिंह जी महाराज अम्बाला शहर तशरीफ़ ले गये| वहाँ मोतीराम दर्ज़ी प्रेमी सत्संगी थे, उन्होंने बाबा जी महाराज से सत्संग के लिए अर्ज़ की|
बहुत समय पहले का ज़िक्र है| एक बार बड़े महाराज जी शिमला गये| दो सत्संगी भाई काहन सिंह और भाई मग्घर सिंह आपके साथ थे| कुछ लोग आये और सत्संग में बैठ गये|
हुज़ूर महाराज सावन सिंह जी को संगत प्रेम से बड़े महाराज जी कहती है| उनके पिता जी सूबेदार मेजर थे| उन्हें साधुओं से मिलने का शौक़ था|
जब शुकदेव गुरु धारण करके, नाम लेकर उसके आदेशानुसार कमाई करके अपने पिता वेदव्यास के पास गया, तो उसने पूछा, “गुरु कैसा है?” शुकदेव चुप!
एक शिष्य अपने गुरु के साथ जंगल में रहता था| एक बार सर्दियों की अँधेरी रात में ज़ोर की वर्षा होने लगी और झोंपड़ी की छत से पानी टपकने लगा|
एक दिन बसरा की महात्मा राबिया बसरी फूट-फूट कर रो रही थी, मानो उसका हृदय फट रहा हो| उसको दुःख से व्याकुल देखकर उसके पड़ोसी उसके चारों ओर इकट्ठे हो गये|
एक बार ख़ुदा के सच्चे प्रेमी बायज़ीद बुस्तामी को आकाशवाणी हुई और उसने गै़बी (दैवी) आवाज़ यह कहती हुई सुनी, “तुझे जो माँगना है, माँग ले, तेरी इच्छा पूरी हो जायेगी|”
एक बार एक ज़िक्र है कि महान सूफ़ी दरवेश शम्स तब्रेज़ में परमात्मा के आगे सच्चे दिल से दुआ की, “हे कुल-मालिक! मुझे अपने ऐसे प्यारे का साथ दे, जिसके साथ मैं तेरे प्रेम की बातें कर सकूँ और जिसको तेरी जुदाई की असह्य पीड़ा तथा तेरे मिलाप के अकथनीय आनन्द की कथा सुना सकूँ|”