बाबा जी गये चोरी करने – शिक्षाप्रद कथा
एक बाबा जी एक दिन अपने आश्रम से चले गंगा जी नहाने| बाबा जी धोखे से आधी रात को ही निकल पड़े थे| रास्ते में उनको चोरों का एक दल मिला|
एक बाबा जी एक दिन अपने आश्रम से चले गंगा जी नहाने| बाबा जी धोखे से आधी रात को ही निकल पड़े थे| रास्ते में उनको चोरों का एक दल मिला|
एक सियार था| एक दिन उसे जंगल में कुछ खाने को न मिला| बड़ी भूख लगी थी| अन्त में वह बस्ती में कुछ खाने की खोज में आया|
अफ्रीका बड़ा भारी देश है| उस देश में बहुत घने वन हैं और उन वनों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं| बहुत-से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं|
पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का ही पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है, मानव मात्र का पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है,
पेट्रोल डीजल की कीमतें नई ऊंचाई पर और डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर होने से आर्थिक स्तर पर आम भारतीयों का दम-खम सांसें भरने लगा है,
शेरकी गुफा थी| खूब गहरी, खूब अँधेरी| उसी में बिल बनाकर एक छोटी चुहिया भी रहती थी| शेर जो शिकार लाता, उसकी बची हड्डियों में लगा मांस चुहिया के लिये बहुत था|
हुए न सांगची लाऊ, यही नाम था उसका| पिता उसे सांग कहते थे| जी चाहे तो आप भी इसी नामसे पुकारिये| उसका पिता शिकारी था|
वह शिकार खेलने गया था| लम्बी मारकी बंदूक थी और कन्धे पर कारतूसों की पेटी पड़ी थी| सामने ऊँचा पर्वत दूर तक चला गया था|
एक बाजार में एक तोता बेचनेवाला आया| उसके पास दो पिंजड़े थे| दोनों में एक-एक तोता था| उसने एक तोते का मूल्य रखा था-पाँच सौ रुपये और एक का रखा था पाँच आने पैसे|
अपने देश में ऐसे बहुत-से नगर और गाँव हैं, जहाँ बहुत थोड़े पेड़ हैं| यदि वहाँ गाय-बैल भी कम हों और गोबर थोड़ा हो तो रसोई बनाने के लिये लकड़ी या उपले बड़ी कठिनाई से मिलते हैं|