श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-2 (श्रावण मास में नियम पालन का महत्व)
शिव बोले-हे सनत्कुमार! आप अत्यन्त विनम्र हैं| आपने जो कुछ मुझसे श्रावण-मास के बारे में जानना चाहा है, वह अब मैं तुम्हें विस्तार से बतलाता हूँ| अतः अब आप एकाग्र भाव से श्रवण करें|
शिव बोले-हे सनत्कुमार! आप अत्यन्त विनम्र हैं| आपने जो कुछ मुझसे श्रावण-मास के बारे में जानना चाहा है, वह अब मैं तुम्हें विस्तार से बतलाता हूँ| अतः अब आप एकाग्र भाव से श्रवण करें|
शौनक ऋषि बोले-हे सूतजी! आपके द्वारा कही गई कथाओं से मुझे पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई| अतः आप कुछ अन्य कथाएं मुझे सुनायें जिससे मेरी श्रवण तृप्ति हो जाये|
केन्द्रीय मंत्री अनन्त कुमार का अचानक अनन्त की यात्रा पर प्रस्थान करना न केवल भाजपा बल्कि भारतीय राजनीति के लिए दुखद एवं गहरा आघात है।
चैत्र कृष्णा एकादशी – चारोली का फलाहार करने से जम्बू योनि छूट जाती है|
राजा युधिष्ठिर ने पूछा – हे जनार्दन! मल मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम है? उसके व्रत की विधि तथा माहात्म्य विस्तार से वर्णन कीजिये| श्रीकष्ण बोले कि हे राजन्! इस एकादशी का नाम परमा है|
राजा युधिष्ठिर ने प्रश्न किया कि हे जनार्दन! अधिक (मल) मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम है और उसकी विधि तथा माहात्म्य क्या है सो आप कृपा करके विस्तारपूर्वक मुझसे कहिये|
ब्रह्माजी बोले – हे मुनि श्रेष्ठ! अब पापों को हरने वाली पुण्य और मुक्ति देने वाली एकादशी का माहात्म्य सुनिये| पृथ्वी पर गंगा की महत्ता और समुद्रों तथा तीर्थों का प्रभाव तभी तक है, जब तक कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी तिथि नहीं आती|
युधिष्ठिर कहने लगे – हे भगवन्! कार्तिक कृष्णा एकादशी का क्या नाम है और इसकी क्या विधि है? इसके करने से क्या फल प्राप्त होता है, सो आप कृपा करके विस्तारपूर्वक मुझसे कहिये|
युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! आश्विन शुक्ला एकादशी का क्या नाम है? अब आप कृपा करके इसके व्रत की विधि और उसका फल कहिए|